इन्दौर। एक युवती पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाने के मामले को पुलिस कोर्ट में सिद्ध नहीं कर पाई। कोर्ट ने इस कहानी को अर्धसत्य मानते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। कनाडिय़ा थाने पर एक युवती की रिपोर्ट पर भोपाल निवासी ओवेज मुजफ्फर मोइन के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। आरोप था कि एक ही ऑफिस में काम करते के दौरान आरोपी से उसकी दोस्ती हुई थी। उसने विवाह का प्रलोभन देकर उस पर धर्म परिवर्तन के लिए दवाब बनाया और जान से मारने की धौंस दी। नवम अपर सत्र न्यायाधीश जितेंद्र सिंह कुशवाह की कोर्ट ने अपने फैसले में उल्लेखित किया कि यह कहा जा सकता है कि अभियोजन मामला अर्धसत्य तथ्यों पर निर्मित है।
उक्त अर्धसत्य तथ्यों में से सत्य तथ्य कौन से हैं, इस संबंध में अभिलेख पर युक्तियुक्त संदेह से परे किसी भी तथ्य को प्रमाणित करने योग्य साक्ष्य नहीं है। यह प्रमाणित नहीं पाया जाता है कि अभियुक्त ने फरियादिया को विवाह का प्रलोभन देकर धर्म संपरिवर्तित करने के लिए कहा। इसके चलते आरोपी को दोषमुक्त किया गया। इसी तरह आरोपी पर धारा 379 आईपीसी के तहत यह आरोप भी था कि उसने फरियादिया के अकाउंट से बिना उसकी सहमति के बेईमानीपूर्वक पासवर्ड लेकर उसके मोबाइल फोन से अलग-अलग ट्रांजेक्शन से लगभग ढाई लाख पए अपने खाते में अंतरित कर चोरी की। कोर्ट ने दस्तावेजी के आधार पर इस आरोप को भी विश्वसनीय नहीं माना और उसे बरी कर दिया।
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