परसों रात घर पहुंचा तो खड़े होते नहीं बन रहा था, मरने वाले के कई साथी नशे की गिरफ्त में
इन्दौर। शहर (Indore) की कुछ बस्तियों (Settlements) के बच्चे (Children) तो नशे में इस कदर डूबे हुए हैं कि घरवालों ने उनकी उम्मीद ही छोड़ दी है। फिर भी माता-पिता (Parents) का मन है कि मानता नहीं। बच्चों को समझाते हैं, नहीं सुनते तो डांट भी देते हैं। एक 16 साल के नाबालिग (minor) के साथ भी ऐसा ही हुआ…घरवालों ने उसे उसका बुरा-भला समझाया, लेकिन समझने के बजाय उसने मौत को गले लगाना आसान समझा और फांसी लगाकर जान दे दी। पुलिस (Police) का नशे के खिलाफ जो अभियान (campaign) चल रहा है, उक्त नाबालिग की आत्महत्या उस अभियान की असफलता बता रही है।
नंदबाग के रहने वाले 16 साल के विक्की पिता राजू ने घर की छत पर फांसी लगाकर जान दे दी। विक्की फर्नीचर का काम करता था। विक्की और उसके कई ऐसे दोस्त हैं, जिन्हें नशे की लत लगी है। गांजा और नशे का पावडर संूघना रोज की बात थी। विक्की के बड़े भाई लक्की ने बताया कि विक्की को घरवालों ने कई बार नशा करने से रोका भी, लेकिन वह अपनी आदत छोड़ नहीं सका। परसों तो यह हालत थी कि जब वह घर पहुंचा तो उससे खड़े होते नहीं बन रहा था। घरवालों ने उसे कुछ भी नहीं बोला और वह सीधे जाकर सो गया। फिर दूसरे दिन उसने यह कदम उठा लिया। बड़ा सवाल यह है कि मात्र 16 साल की उम्र में नशे की लत विक्की को कैसे लगी। क्या नशीले पदार्थ आसानी से मिल जाते हैं और अगर नशीले पदार्थ शहर में आसानी से बेचे जा रहे हैं तो पुलिस क्या कर रही है। नशे के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है क्या वह महज एक दिखावा है।
विक्की के दोस्त अभी भी करते हैं नशा
विक्की भले ही नशा करता था, लेकिन वह घर का छोटा बेटा था। बेटा गरीब का हो या अमीर का, घरवालों के लिए वह प्रिय होता है। उसकी जिद के चलते घरवालों ने तीन दिन पहले ही उसे बाइक लाकर दी थी। विक्की ने तो फांसी लगाकर जान दे दी, लेकिन विक्की के वो दोस्त, जो अभी भी नशे में डूबे रहते हैं, क्या उनके पुनर्वास के लिए पुलिस प्रयास करेगी या फिर उनके हाल भी आने वाले समय में विक्की जैसे ही होंगे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved