रिंग रोड के यातायात में आधी-अधूरी मिलेगी राहत… सिंधिया जी की प्रतिमा शिफ्ट ना होने से ठप पड़ा बंगाली ओवरब्रिज का काम
इंदौर। आज मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान पिपल्याहाना चौराहा पर बनाए गए 45 करोड़ रुपए के नवनिर्मित ओवरब्रिज का लोकार्पित कर रहे हैं और इसके तुरंत बाद इस ब्रिज से यातायात भी शुरू करवा दिया जाएगा, लेकिन रिंग रोड का यातायात अभी भी पूरी तरह से इसलिए सुगम नहीं होगा, क्योंकि बंगाली चौराहा पर बन रहा ओवरब्रिज का निर्माण बीते 6 महीने से लगभग ठप पड़ा है, क्योंकि बीच चौराहे पर लगी सिंधिया जी की प्रतिमा शिफ्ट करने का निर्णय नहीं हो सका है। जब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया सहमति नहीं देंगे, तब तक प्रतिमा की शिफ्टिंग संभव नहीं है और उसके बिना अधूरे पड़े ओवरब्रिज का निर्माण लोक निर्माण विभाग शुरू भी नहीं कर सकेगा। बीते दो सालों से शहर की जनता बंगाली और पिपल्याहाना चौराहा पर यातायात जाम से परेशान है और सर्विस रोड से आवागमन चल रहा है।
इंदौर में वैसे तो अधिकांश ओवरब्रिज लेटलतीफी का ही शिकार होते रहे हैं। राजकुमार ओवरब्रिज ने तो 17 साल में पूरा होने का कीर्तिमान बनाया था, तो इसी तरह जूनी इंदौर सहित अन्य ब्रिज में भी समय लगा। सिर्फ जवाहर मार्ग ब्रिज को ही समय से पहले पूरा किया जा सका। अभी इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा पिपल्याहाना चौराहा पर ओवरब्रिज बनाया गया है। यह भी हालांकि 18 महीने में पूरा होना था, लेकिन दो साल लग गए, क्योंकि कफ्र्यू-लॉकडाउन के चलते भी कोरोना संक्रमण से ओवरब्रिज का निर्माण प्रभावित हुआ।
आज दोपहर साढ़े 3 बजे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान 45 करोड़ रुपए की लागत से बने पिपल्याहाना ओवरब्रिज का लोकार्पण करेंगे। उसके बाद इस पर से यातायात भी शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन इसके पहले बंगाली चौराहा पर पहले की तरह ही यातायात अवरूद्ध रहेगा और सर्विस रोड से ही गुत्थमगुत्था होते हुए वाहनों की आवाजाही चलेगी, क्योंकि बीते 6 माह से बंगाली ओवरब्रिज का निर्माण लगभग ठप ही पड़ा है। दरअसल यहां बीच में स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की प्रतिमा लगी है, जिसे हटाने की हिम्मत बिना ज्योतिरादित्य सिंधिया की सहमति के किसी में नहीं है। प्रदेश में भाजपा की सरकार चूंकि सिंधिया की बदौलत ही बनी है, लिहाजा उनके पिताश्री की प्रतिमा बिना उनकी सहमति के शिफ्ट नहीं हो सकती। लोक निर्माण विभाग ने कई मर्तबा निगम से लेकर प्रशासन को इस संबंध में पत्र लिख दिए हैं, क्योंकि प्रतिमा शिफ्टिंग के कारण ही आगे के निर्माण कार्य ठप पड़े हैं। पूर्व में निगम ने मौका-मुआयना भी किया, लेकिन उपचुनावों का बहाना बनाकर शिफ्टिंग के निर्णय को टाल दिया। अब नए सिरे से फिर प्रयास किए जाएंगे। हालांकि अभी तक प्रतिमा कहां शिफ्ट होगी यह तय नहीं हो पाया है। इस संबंध में सांवेर के विधायक और अभी मंत्री बने तुलसीराम सिलावट को भी जिम्मेदारी लेना होगी, ताकि वे श्री सिंधिया से चर्चा कर प्रतिमा शिफ्ट करवाने का निर्णय करवा सकें।
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