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    Indore: अब सडक़ों पर सफेदपोश भिखारी, मासूमियत का भी सौदा

  • October 15, 2024


    प्रशासन की कोशिशों के बावजूद चौराहों पर भिखारियों की जमात
    इंदौर। पहली बार जिला प्रशासन (District Administration) के मुखिया (chief) ने इंदौर (Indore) शहर को भिक्षुक मुक्त (beggar free) शहर बनाने का संकल्प लेते हुए चौराहों पर भीख मांगते बच्चे, बड़े बुजुर्गों को उज्जैन (Ujjain) स्थित सेवाधाम भेजने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इसी के चलते भीख मांगने वाले भिखारियों और बच्चों से भीख मंगवाने वालों ने नए तरीके अपनाना शुरू कर दिए हैं। अब भिक्षुक गंदे कपड़ों के बजाय साफ-सुथरे कपड़ों में चौराहों पर खड़े होकर मासूमियत (innocence ) का प्रदर्शन करते हुए भीख मांगने लगे हैं।


    जिला प्रशासन के मुखिया आशीष सिंह ने विगत दिनों इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने की मुहिम शुरू करते हुए नगर निगम के साथ जिला प्रशासन की टीम को भीख मांगते लोगों को हटाने और उन्हें उज्जैन स्थित सेवाधाम पहुंचाने की कार्रवाई शुरू की थी। कई चौराहों पर गंदे कपड़ों में मौजूद भिखारी कहीं गाडिय़ों के कांच को बजाते हुए नजर आते थे तो कहीं दोपहिया वाहन चालकों के कपड़ों पर गंदे हाथ लगाकर उन्हें भीख देने के लिए मजबूर करते थे। प्रशासन की इस कार्रवाई के चलते कुछ चौराहों से भिखारियों को सेवाधाम भेजा गया, लेकिन वे वहां से भागकर फिर शहर में आ गए, लेकिन प्रशासन की सख्ती को देखते हुए इस बार भिखारियों ने अपना पैटर्न बदल लिया है। अब भीख मांगने वाले बच्चे गंदे कपड़ों के बजाय साफ-सुथरे कपड़ों में नजर आने लगे हैं। यह बच्चे अपनी भूख का हवाला देकर लोगों से पैसे मांगते हंैं, वहीं इनके मां-बाप भी साफ-सुथरे कपड़ों में लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए पैसे ऐंठते हैं।

    दया की दुकान… नए-नए तरीके ईजाद कर लिए पैसे ऐंठने के
    गंदे कपड़ों में चौराहों पर भीख मांगने से चंद सिक्के ही मिल पाते हैं और ऊपर से प्रशासन की सख्ती का डर। इसी के चलते लोगों की दया की दुकानों को ऐंठने के लिए भिखारियों ने नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। कई चौराहों पर बेहद ही सभ्य नजर आने वाले लोग वाहन चालकों के पास आते हैं और उनके पास आकर अपना दुखड़ा रोने लगते हैं। तरह-तरह के बहाने बनाते ये लोग कभी यह कहते हैं कि वे परदेसी हैं और उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के लिए आए थे। रास्ते में उनका सारा सामान चोरी हो गया और उनके पास खाने-पीने के भी पैसे नहीं है। इनके साथ ही महिलाएं और बच्चे भी होते हैं, जो कुछ दूर पर खड़े होते हैं, लेकिन व्यक्ति के इशारे पर यह गाड़ी वाले के पास आ जाते हैं। पूरे परिवार को मुश्किल में देख राह चलते लोग भी अच्छी खासी रकम उन्हें दे डालते हैं। ऐसे लोग 100-200 रुपए में भी नहीं मानते हैं और वापसी के किराए के साथ ही भोजन की भी सहायता मांगते हुए तगड़ी रकम ऐंठने का प्रयास करते रहते हैं। कई बार इनकी पोल तब खुल जाती है, जब कोई वाहन चालक इसी तरह पहले भी किसी और चौराहे पर ठगा जाता है और जब वह कहता है कि तुमने इसी तरह दूसरे चौराहे पर इसी तरह पैसे लिए थे और दोबारा पैसे ऐंठने का प्रयास कर रहे हो तो महिला-बच्चे सहित वह व्यक्ति चंद मिनटों में ही चंपत हो जाता है।

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