25 लाख की धोखाधड़ी डीमेट अकाउंट खुलवाकर कर डाली
देर रात धरपकड़….आरोपियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज
इंदौर। एंटी माफिया अभियान (Anti Mafia Campaign) के दायरे में अवैधानिक रूप से निवेश के लिए चलाई जा रही फाइनेंशियल एडवाइजरी कम्पनियों (Financial Advisory Companies) के खिलाफ भी प्रशासन (Administration) ने कड़ी कार्रवाई शुरू की है। 66 साल के एक वृद्ध की शिकयत पर कलेक्टर मनीष सिंह ने देर रात ऐसी ही एक स्टॉक ब्रोकिंग कम्पनी (Stock Broking Company) चलाने वालों के खिलाफ ना सिर्फ छापे डलवाए, बल्कि एफआईआर भी दर्ज करवाई। 25 लाख की धोखाधड़ी कूटरचित तरीके से इस मामले में कर डाली।
गृह निर्माण संस्थाओं (House Building Institutions) के ठगोरे भूमाफियाओं (Land Mafia) के अलावा मिलावटखोरों, ड्रग, शराब से लेकर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले प्रॉपर्टी ब्रोकरों (Property Brokers) के साथ-साथ स्टॉक मार्केट के ब्रोकरों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की गई है। पिछले दिनों टेलीफोन नगर (Telephone Nagar) में रहने वाले 66 साल के सेवानिवृत्त वृद्ध शासकीय कर्मचारी ने कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) को सौंपी लिखित शिकायत में बताया कि उनके साथ 25 लाख रुपए की धोखाधड़ी की गई। स्टॉक ब्रोकिंग कम्पनी (Stock Broking Company) चलाने वाले अपंजीकृत निवेश सलाहकार पंकज पांचाल और शुभम भावसार ने स्टॉक मार्केट में निवेश के नाम पर 25 लाख रुपए की धोखाधड़ी डीमेट अकाउंट खुलवाकर कर डाली और इस खाते को उनके द्वारा ही संचालित किया जाता रहा, जो कि नियम के विरूद्ध है। सेबी की पकड़ से बचने के लिए आरोपियों ने वेबसाइट का निर्माण ना करते हुए व्यक्तिगत रूप से निवेशकों को तलाश कर उनके साथ ठगी की। कलेक्टर के निर्देश पर कल देर रात एडिशनल एसपी राजेश रघुवंशी और एसडीएम अंशुल खरे ने छापा डाला और दोनों आरोपियों को पकडक़र उनके खिलाफ कनाडिय़ा थाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 409 के तहत एफआईआर रजिस्टर्ड करवाई गई। आरोपियों के विरूद्ध एफआईआर के साथ उनकी गिरफ्तारी भी की गई। कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने एक जानकारी में बताया कि सभी नागरिकों से भी अपील की गई है कि वे किसी भी अपंजीकृत निवेश सलाहकार के झांसे में ना आएं, क्योंकि ऐसे सभी सलाहकारों का सेबी में पंजीयन अनिवार्य है और सेबी द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन भी करना जरूरी है और हर कस्टमर की फाइल संधारित करना, कर्मचारियों का केवाईसी, रिस्क असेसमेंट एवं सुटेबिलिटी असेसमेंट जैसे घटकों का पालन अनिवार्य है। ऐसे फर्जी सलाहकारों पर भरोसा ना करें और इसकी सूचना पुलिस-प्रशासन को दें।
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