इंदौर, प्रियंका जैन देशपांडे। सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) जैसी गंभीर बीमारी, जो महिलाओं (women) की जान लेने का सबसे बड़ा कारण बनकर उभर रही है, उसे लेकर ही एमटीएच अस्पताल (MTH hospital) पिछले 1 महीने से खिलवाड़ कर रहा है। सैकड़ों महिलाओं की जिंदगी से खेल रहे अस्पताल प्रबंधन (Hospital Management) को ना तो इसकी भनक है, ना ही वह अपनी जिम्मेदारी उठाना चाह रहा है। अग्निबाण की पड़ताल में 55 जिंदगियों से खिलवाड़ के दस्तावेज भी सामने आए हैं।
20 की सूची थमाई
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का आलम यह है कि कितनी महिलाओं की जांच पेंडिंग है, इसकी उन्हें जानकारी ही नहीं है। हर दिन कितनी महिलाओं के सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं, जांच के लिए भेजे जा रहे हैं कि नहीं, इस बात से भी प्रबंधन अनजान नजर आया। रिपोर्टर द्वारा 20 महिलाओं की सूची थमाई तो जिम्मेदारों के पैरों तले जमीन खिसक गई और जांच करने की बात कहने लगे।
मानसिक प्रताडऩा झेलना पड़ रही
प्राइवेट कंपनी के रनर के माध्यम से पेप स्मीयर के सैम्पल हर दिन भेजे जा रहे हैं। जांच रिपोर्ट मांगने पर सिर्फ तारीख ही मिलती है। एक कर्मचारी ने बताया कि लगभग हर दिन एवरेज कम से कम 4 सैम्पल देकर आता हूं, लेकिन जांच कितनों की होती है, जानकारी नहीं है। 1 महीने से कोई रिपोर्ट नहीं दी गई। 23 अगस्त को सैम्पल देने वाली महिला प्रिया जैन (परिवर्तित नाम) ने बताया कि हर दिन कल बोलकर टाल देते हैं। आने-जाने का खर्च ही इतना हो गया कि प्राइवेट लैबोरेटरी में जांच हो जाती व रिपोर्ट भी जल्दी आ जाती और मानसिक परेशानी भी नही झेलना पड़ती।
कैबिन में बंद रहकर करते हैं ड्यूटी
जब अस्पताल के कर्ताधर्ताओं को इसकी जानकारी दी गई तो विभागाअध्यक्ष डॉ निलेश दलाल इस बात को गलत ठहराने में लग रहे। उनके अनुसार 10 दिन में रिपोर्ट दी जा रही है। तथ्यों और सबूत के सामने आते ही वे हरकत में आए और आनन-फानन में जांच करवाने का दिखावा करते रहे। महिलाओं ने बताया कि डॉ दलाल से मिलने की किसी को भी अनुमति नहीं है। जब भी शिकायत के लिए पहुंचते हैं तो वह बंद कमरे में बैठकर ही सिक्योरिटी गार्ड के माध्यम से टरका देते है। चुनिंदा स्टाफ ही एचओडी से मिल सकता है।
अंदर ही अंदर फैलती और गंभीर होती रहती
सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा में होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जिससे पीडि़त महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ह्यूमन पैपिलोमावायरस और कैसंर पर आधारित अपनी एक रिपोर्ट में इस बात को साफ-साफ कहा है कि भारत में हर 8 मिनट के भीतर सर्वाइकल कैंसर के कारण एक महिला की मौत होती है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो अंदर ही अंदर फैलती है और गंभीर होती रहती है। जब तक सर्वाइकल कैंसर गंभीर रूप नहीं ले लेता, अधिकतर महिलाओं को इस बात का अंदाजा भी नहीं लग पाता है कि वे इस बीमारी से पीडि़त हैं। जब तक इस बीमारी के बारे में पता चलता है, तब तक यह बीमारी पूरी तरह से फैल चुकी होती है।
क्यो होता है टेस्ट
सर्वाइकल कैंसर की जांच करने तथा इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में पता लगाने के लिए पेप स्मीयर टेस्ट किया जाता है। पेप स्मीयर एक आसान और कम समय में पूरा होने वाला टेस्ट है। इस टेस्ट के दौरान महिला को जरा भी दर्द या किसी प्रकार की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। प्रारंभिक लक्षणों से ही जानकारी लग जाती है और उपचार जल्दी मिलने से महिलाओं की जान भी बचाई जा सकती है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved