इंदौर। एक लडक़ी (Girl) ने फांसी (Hanging) लगाकर आत्महत्या (Suicide) कर ली। उसके मन में क्या बात चल रही थी, यह मां भी जान नहीं पाई। वह मासूमियत (Innocence) से मां से धार्मिक (Religious) सवालों (Question) के जवाब पूछने लगी तो मां भी उसे बताती रही। फिर उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मां को नहीं पता था कि उसके सवाल पूछने का मकसद क्या था। यह भी नहीं पता था कि बेटी ऐसा कदम उठा लेगी। हालांकि उसकी आत्महत्या को लेकर एक अन्य बात भी कही जा रही है, जिसमें वह सहेली की हादसे में हुई मौत के बाद कुछ दिनों तक तनाव (Tension) में रही थी।
15 साल की राबिया पिता इकबाल शेख निवासी चंपाबाग हाथीपाला (Hathipala) को फांसी के फंदे से उतारकर एमवाय अस्पताल (MY Hospital) लाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत बता दिया। प्रारंभिक पड़ताल में आत्महत्या का कारण तो साफ नहीं हुआ, लेकिन कल उसने मोहर्रम (Muharram) के अवसर पर घरवालों के साथ रोजा (Roza) रखा था। उसे रोजा खोलने को कहा तो वह पास के दूसरे घर पहुंची और काफी देर तक नहीं लौटी तो परिजन उसे देखने गए। वह फंदे पर लटकी मिली। परिजन बता रहे हैं कि कल वह अपनी मां से मोहर्रम के बारे में जानकारी पूछ रही थी। वह सवाल कर रही थी कि आज ही के दिन इमाम हुसैन शहीद हुए थे। इस पर मां ने हां कहा। उसने फिर दूसरा सवाल मां से किया कि क्या आज के दिन शहीद होने से जन्नत मिलती है तो मां ने दोबारा उसे हां कहा। उसके बाद भी उसने कई सवाल किए और फिर चली गई। परिजन का कहना है कि उसके मन में इन सवालों के पीछे क्या चल रहा था, यह हम जान नहीं पाए।
नखराली ढाणी में स्कूल टूर पर सहेली को लग गई थी फांसी
परिजन का कहना है कि करीब डेढ़ साल पहले स्कूल ( School) का टूर नखराली ढाणी (Nakhrali Dhani) गया था, जिसमें राबिया भी गई थी। उसकी एक सहेली का झूला झूलते समय रस्सी से गला कसा गया और उसकी मौत हो गई थी। तब से भी वह गुमसुम रहती थी। वह कहती थी कि जीने में क्या रखा है। ऐसे ही ऊटपटांग बातें करती थी। राबिया 11वीं कक्षा में गई थी। उसका दो दिन पहले ही एक अन्य स्कूल में एडमिशन (Admission) कराया था, जिसकी पुस्तकें भी परसों लाकर दी थीं।
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