कल दिनभर परेशान होते रह परिजन… अत्यावश्यक स्थिति में ब्लड डोनेशन के जरिए भी देना पड़ा प्लाज्मा
इंदौर । अभी घर-घर जाकर उन कोरोना संक्रमण (Corona infection) के बाद स्वस्थ हुए लोगों की एंटीबॉडी टेस्टिंग (antibody testing) करवाई जा रही है जो प्लाज्मा डोनेट ( plasma donate) कर सकते हैं। बीते 4-5 दिनों में ही 350 से अधिक ऐसे लोगों ने अपने एंटीबॉडी टेस्ट (antibody test) करवा लिए और इनमें पात्र पाए गए लोग अब अस्पतालों में भर्ती गंभीर कोरोना मरीजों को प्लाज्मा देने को भी तैयार हैं। ऐसे 200 से अधिक डोनर की लिस्ट भी बन चुकी है, लेकिन प्लाज्मा किट खत्म होने के कारण कल भी दिनभर मरीजों के परिजन और डोनर खुद परेशान होते रहे। 5-6 अत्यंत गंभीर मरीजों को ब्लड डोनेशन (blood donation) के जरिए प्लाज्मा देने के प्रयास भी किए गए। इंदौर सहित प्रदेशभर में प्लाज्मा किट की कमी हो गई है।
अभी एक साथ चूंकि सभी जगह कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी, जिसके चलते बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन, अन्य दवाइयों के साथ-साथ टेस्टिंग किट और उसके बाद प्लाज्मा किट (plasma kit) का जबरदस्त टोटा पड़ गया है। ज्यादा संक्रमित और गंभीर मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी का भी लाभ मिलता है और इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। पिछले दिनों संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा और कलेक्टर मनीष सिंह ने प्लाज्मा डोनेशन बढ़वाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया और इसके लिए एक और यह सुविधा यह दी गई कि अभी तक प्लाज्मा डोनेट करने से पहले कोरोना से स्वस्थ हो चुके मरीज की एंटीबॉडी टेस्ट (antibody test) करवाना जरूरी है और जिसकी एंटीबॉडी अच्छी है उसी से प्लाज्मा डोनेट करवाया जाता है। लेकिन लैब या अस्पताल जाकर एंटीबॉडी टेस्टिंग (antibody testing) करवाने से फिलहाल इस संक्रमण काल में लोग बच रहे थे, जिसके चलते रेडक्रॉस की सहायता से घर बैठे नि:शुल्क एंटीबॉडी टेस्ट करवाने की सुविधा शुरू की गई। प्लाज्मा डोनेशन में सक्रिय दामोदर युवा संगठन के अशोक नायक के मुताबिक 5 गाडिय़ां इसके लिए चलाई जा रही है, जो घर जाकर सैम्पल ले रही है। यहां तक कि पिछले दिनों निपानिया की अपोलो डीबी सिटी जैसी बड़ी टाउनशिप में भी सैम्पलिंग की व्यवस्था की गई, जिसके चलते 35 से अधिक प्लाज्मा डोनेट ( plasma donate) करने के इच्छुक रहवासियों ने अपना एंटीबॉडी टेस्ट करवाया। श्री नायक के मुताबिक बीते 4-5 दिनों में ही 350 से अधिक एंटीबॉडी टेस्ट इस घर पहुंच सेवा के तहत हो गए और इनमें से लगभग 200 से ज्यादा डोनर भी प्लाज्मा देने के लिए तैयार हो गए हैं। लेकिन अब परेशानी प्लाज्मा किट की किल्लत के चलते आ रही है। कल तो कहीं पर भी किट ही उपलब्ध नहीं थी। रेडक्रॉस सोसायटी एमवाय सहित अन्य निजी अस्पतालों, सेंटरों पर जहां प्लाज्मा लिया जाता है वहां किट ही नहीं थी, जिसके चलते मरीजों के परिजन इधर से उधर भटकते रहे और प्लाज्मा किट खरीदने को भी तैयार थे, मगर कहीं उपलब्ध ही नहीं हो पा रही है। शासन-प्रशासन भी इस मामले में अधिक पहल नहीं कर सका और किट तैयार करने वाली कम्पनियों से किट बढ़वाई जाना चाहिए। आपात स्थिति में 5-6 मरीजोंको ब्लड डोनेशन के जरिए भी प्लाज्मा देने के प्रयास किए गए। लेकिन इसमें एक परेशानी यह है कि ब्लड डोनेट करने वाला व्यक्ति फिर तीन माह तक डोनेट नहीं कर सकता, जबकि सिर्फ प्लाज्मा डोनेट करने पर तीन महीने में 10 बार से अधिक भी प्लाज्मा डोनेट किया जा सकता है।
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