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    ड्राइवरलेस रहेगी इंदौर मेट्रो, थर्ड रेल टेक्नोलॉजी का होगा इस्तेमाल

  • October 15, 2022

    खम्भे और वायर के ओवरहेड की बजाय पटरियों के समानांतर बिछी लाइनों से मिलेगी बिजली भी, सीबीटीसी तकनीक से होगा पूरा संचालन

    इंदौर। देश में अभी जो नए मेट्रो प्रोजेक्ट (Metro Project) लाए जा रहे हैं उसमें अब थर्ड रेल टेक्नोलॉजी (Third Technology) का इस्तेमाल किया जा रहा है। अभी गुजरात रेल मेट्रो कार्पोरेशन ने सूरत मेट्रो (Surat metro) में भी इसी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का निर्णय लिया, तो भोपाल के साथ इंदौर मेट्रो का जो पहले चरण का काम इन दिनों चल रहा है, उसमें भी यह अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाएगी, जिसमें खम्भे और वायर सहित ओवरहेड का इस्तेमाल नहीं होगा, बल्कि पटरियों के समानांतर डाली गई लाइन से ही बिजली की सप्लाय होगी, जिसके चलते आंधी-तूफान, बारिश या अन्य कारणों से विद्युत सप्लाय प्रभावित नहीं होगी और इसका रख्र-रखाव भी ओवरहेड की तुलना में आसान और सस्ता पड़ता है।


    इंदौर मेट्रो से जुड़े अधिकांश बड़े टेंडरों को भी मध्यप्रदेश मेट्रो  रेल कार्पोरेशन ने मंजूरी दे दी है, जिसमें रोलिंग स्टॉक, इलेक्टीफिकेशन, सिग्नलिंग, यार्ड के निर्माण सहित अन्य बड़े ठेके शामिल हैं। अभी एयरपोर्ट से सुपर कॉरिडोर, एमआर-10 होते हुए रेडिसन और रोबोट चौराहा तक पहले चरण का काम दो एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है। दिलीप बिल्डकॉन और रेल विकास निगम द्वारा सेगमेंट लॉन्चिंग से लेकर मेट्रो स्टेशन सहित अन्य कार्य चल रहे हैं। इंदौर मेट्रो की एक और विशेषता यह भी रहेगी कि यह ड्राइवर लेस होगी, जिसकी पुष्टि मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन के कॉर्डिनेशन डायरेक्टर सोभित टंडन ने की है। श्री टंडन के मुताबिक अब जो मेट्रो प्रोजेक्ट आ रहे हैं, उनमें थर्ड रेल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली, अहमदाबाद, सूरत सहित अन्य मेट्रो प्रोजेक्ट के जो अगले चरण शुरू किए गए हैं उनमें इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है। इंदौर-भोपाल में भी यही इस्तेमाल की जाएगी, जिसमें ओवरहेड वायर की जगह पटरियों के समानांतर डाली गई लाइनों से विद्युत सप्लाय की जाएगी और ड्राइवर लेस ट्रेन होगी, जिसका पूरा संचालन सीबीटीसी यानी स्वचालित नियंत्रण प्रणाली के जरिए किया जाएगा। सीबीटीसी सिग्नल सिस्टम से ट्रैकिंग, कम्युनिकेशन से लेकर अन्य व्यवस्थाएं चलती है। इंदौर में रोलिंग स्टॉक यानी कोच सहित अन्य बड़े टेंडर भी मंजूर हो गए हैं। 75 कोच का ठेका 3248 करोड़ में भारतीय कम्पनी अल स्टॉम ट्रांसपोर्ट को दिया गया है, तो पटरियां जिंदल स्टील द्वारा बिछाई जाना है।

     

     

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