इंदौर। इंदौर के विजय नगर स्थित मेदांता अस्पताल के आईसीयू (ICU of Medanta Hospital) में रविवार देर शाम अचानक आग लग गई थी। इस घटना के बाद अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल (Questions about hospital arrangements) उठे, जिसके चलते प्रशासन ने मामले की जांच के निर्देश दिए थे। जांच के दौरान अस्पताल में कई खामियां (Many flaws in the hospital) पाई गईं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने मेदांता अस्पताल को नोटिस जारी किया है और मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने पर रोक लगा दी है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि रविवार की रात मेदांता अस्पताल की चौथी मंजिल पर स्थित आईसीयू में आग लगी थी, जिसके बाद यहां भर्ती मरीजों को तीसरी मंजिल पर शिफ्ट किया गया था। मरीजों के परिजनों ने आरोप लगाए थे कि आग लगने के बाद अस्पताल का अलार्म नहीं बजा और आग बुझाने के पर्याप्त प्रबंध नहीं थे। इसके बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने मामले की जांच के निर्देश देते हुए जांच समिति गठित की थी। सोमवार को जांच समिति ने अस्पताल की व्यवस्थाओं की जांच की। समित ने अस्पताल का बारीकी से निरीक्षण करने के बाद रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी।
जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि अस्पताल के आइसीयू में बिजली के एक ही सर्किट से कई बेड जुड़े थे। हर बेड पर अलग-अलग बिजली सर्किट नहीं थे। हर सर्किट पर अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर (ईएलसीबी) लगाना था, लेकिन आइसीयू में यह नहीं पाए गए। वायरिंग भी खुली पाई गई, जो सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है। एमसीबी लगा मिला, लेकिन यह ठीक से काम नहीं रहा था।
जांच समिति में अपर कलेक्टर पवन जैन के अलावा सीएमएचओ डा. बीएस सैत्या, डा. प्रदीप गोयल, विद्युत सुरक्षा विभाग, लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर, अग्निशमन अधिकारी रविकांत मिश्रा, तहसीलदार धीरेंद्र पाराशर, मोहम्मद सिराज खान शामिल थे। जांच के बाद सीएमएचओ डा. सैत्या ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर आईसीयू में मरीज भर्ती करने पर रोक लगा दी है। यह प्रतिबंध तब तक रहेगा, जब तक कि आईसीयू में सामने आई सारी खामियां दूर नहीं कर ली जाती। (एजेंसी, हि.स.)
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