नदी-नाला तक सिमटा निगम का काम, मरीमाता चौराहे से राजबाड़ा तक सडक़ चौड़ीकरण का मामला उलझन में,
सरवटे टू गंगवाल और बड़ा गणपति से कृष्णपुरा तक का भी काम रुका
इन्दौर। नगर निगम का पूरा अमला नदी-नालों की सफाई में जुटा हुआ है और सारे काम इन दिनों बंद पड़े हैं, जिसके चलते अन्य प्रोजेक्टों पर भी इसका असर पड़ रहा है। सरवटे टू गंगवाल के लिए मच्छी बाजार क्षेत्र में लाइनें बिछाने के काम चल रहे थे, जो अब बंद हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर बड़ा गणपति से कृष्णपुरा छत्री के लिए नपती, निशान की कार्रवाई पूरी होने के बाद भी बाधक निर्माण हटाने का मामला उलझन में पड़ा है। इसी प्रकार मेजर रोड मरीमाता चौराहे से लेकर राजबाड़ा तक की सडक़ का मामला कागजों में सिमटकर रह गया है।
कुछ वर्ष पहले निगम ने शहर की कई सडक़ों का चौड़ीकरण करने की तैयारी की थी। इसके तहत कई जगह काम शुरू हो गए थे, लेकिन कई जगह मामला प्रस्ताव तक सीमित रह गया है। सरवटे टू गंगवाल ऐसी सडक़ है, जिसकी बाधाएं कभी वहां चल रहे काम रोक देती हैं तो ठेकेदार काम बंद कर देते हैं। सरवटे बस स्टैंड से लेकर गंगवाल बस स्टैंड तक रास्तेभर अनेक जगह बाधाएं हैं। कुछ हिस्सों में ही काम पूरा हुआ है, बाकी हिस्सों में अलग-अलग चरणों में काम चल रहा है। मच्छी बाजार से सिलावटपुरा के बीच जरूर काम तेजी से हुआ, लेकिन वहां फिर से लाइन बिछाने का बखेड़ा खड़ा हो गया। यह काम भी अभी मच्छी बाजार क्षेत्र में अधूरा पड़ा है, जबकि उक्त सडक़ की बाधाएं गौतमपुरा से मच्छी बाजार के बीच हटाई जाना हैं और उसके लिए चार से पांच बार निशान लगाने के काम पूरे कर लिए गए हैं, लेकिन हर बार मामला उलझन में पड़ जाता है। इसी प्रकार बड़ा गणपति से कृष्णपुरा तक की सडक़ के लिए निगम ने नपती के काम शुरू किए थे और निशान लगाने के बाद कई लोगों ने अपने बाधक हिस्से हटा लिए थे, लेकिन निगम वहां कार्रवाई नहीं शुरू कर पाया। अब इन दिनों निगम का सारा अमला स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारियों में जुटा है।
मरीमाता से राजबाड़े तक होना है सडक़ चौड़ीकरण
तत्कालीन महापौर कृष्णमुरारी मोघे ने अपने कार्यकाल के दौरान मरीमाता चौराहे से इमली बाजार होते हुए राजबाड़े तक सडक़ चौड़ीकरण का प्रस्ताव तैयार कराया था। इस कार्य के लिए तीन से चार बार वे अधिकारियों के साथ पूरे मार्ग पर निरीक्षण भी कर चुके थे। काम शुरू कराए जाने की तैयारी थी और मामला उलझन में पड़ा गया, तब से लेकर आज तक इस प्रस्ताव को अफसर ही भूल चुके हैं। इसी प्रकार कुछ अन्य मार्गों की सडक़ों का चौड़ीकरण भी उलझन में ही पड़ा हुआ है।
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