इंदौर (Indore) । इंदौर के स्कूल ऑफ लॉ (school of law) में पिछले दिनों सेमेस्टर का अंतिम दिन था। इस दिन कॉलेज के छात्रों ने पार्टी की और इस दौरान सारी हदें पार कर दी। इस दिन टाइटल डेडिकेशन (title dedication) का दिन था और एक दूसरे को अपनी तरफ से एक टाइटल देना था। यह टाइटल टीशर्ट (T-shirt) पर लिखा जाना था। टाइटल लिखने के दौरान कई छात्राओं ने अपनी साथी छात्राओं की टीशर्ट पर अश्लील टाइटल लिखे। इसमें छात्राओं के शारीरिक अंगों (body parts) पर टिप्पणी की गई। जब यह फोटो और वीडियो वायरल हुए तो कालेज प्रबंधन सवालों के घेरे में आ गया। अब इस मामले में शहर के प्रबुद्धजन और वकीलों ने चिंता भी जाहिर की है। सबका कहना है कि यह छात्र जब वकालत करने के लिए कोर्ट आएंगे तो क्या करेंगे। यदि इनमें इसी तरह संस्कारों का अभाव रहा तो ये कभी भी अच्छे वकील नहीं बन पाएंगे।
इंदौर शहर के महापौर इसी कालेज के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने भी इस घटना पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि छात्रों को इवेंट और मौज मस्ती करने का मौलिक अधिकार है लेकिन इस तरह की चीजें नहीं होना चाहिए। यह घटनाएं किसी भी कालेज में नहीं होना चाहिए। सार्वजनिक तौर पर हमें किस तरह का व्यवहार करना है यह सभी छात्रों को पता होना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता अविनाश सिरपुरकर ने कहा कि छात्रों ने जो हरकत की है इसमें उनके परिवार के संस्कार नजर आ रहे हैं। वकील बनने के बाद अगर इस तरह की हरकतें कोई भी करता है तो उस पर स्टेट बार काउंसिल एक्शन लेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव धनोदकर ने कहा कि डीएवीवी यूनिवर्सिटी को इस पर सख्त एक्शन लेना चाहिए। यदि आपका आचरण ही ठीक नहीं होगा तो आप वकालत कैसे कर पाएंगे।
दो दिन के बाद भी यूनिवर्सिटी ने नहीं लिया एक्शन
शनिवार को इस इवेंट के फोटो वीडियो वायरल हुए थे लेकिन इसके बाद भी यूनिवर्सिटी के द्वारा किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया गया। प्रभावी वीबी गुप्ता का कहा है कि अभी जांच कर रहे हैं जांच के बाद छात्रों पर एक्शन लिया जाएगा। ध्यान रखेंगे कि इस तरह की घटनाएं अब कभी भी न हों।
एनएसयूआई और एबीवीपी दोनों ने किया विरोध
इस घटना का दोनों छात्र संगठनों ने विरोध किया है। एबीवीपी और एनएसयूआई नेताओं ने इस तरह के कल्चर के विरुद्ध अभियान चलाने की बात कही है। एनएसयूआई के यूनिवर्सिटी प्रभारी विकास नंदवाना ने कहा कि इस तरह के अश्लील कार्यक्रम का कॉलेज परिसर में आयोजन होना ही नहीं था। इसके लिए कालेज प्रशासन भी बराबर से जिम्मेदार है।
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