स्वच्छता परिणाम के चलते रूकी थी तबादला सूची, अब जल्द ही होगी जारी, शहर को जानने-समझने वाले अफसर की ही जरूरत
इंदौर। विधानसभा चुनाव (assembly elections) के बाद प्रदेश में जो नए राजनीतिक समीकरण बने और अब लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है, जिसके चलते योग्य और सक्षम अफसरों की नियुक्तियां की जा रही हंै। कलेक्टर की पदस्थापना के बाद अब इंदौर में नए निगमायुक्त का इंतजार है। स्वच्छता सर्वे परिणाम के चलते यह तबादला सूची रूकी थी, जो अब जल्द ही जारी होगी। इंदौर में ही रह चुके और वर्तमान में मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड आयुक्त चंद्रमौली शुक्ल फिलहाल निगमायुक्त की दौड़ में सबसे आगे और उपयुक्त बताए जा रहे हैं।
सालभर से नगर निगम में चुनी हुई परिषद् भी सत्तारूढ़ है। महापौर के साथ 85 पार्षदों की फौज तो है ही, वहीं दूसरी तरफ निगम की वित्तीय स्थिति अत्यंत खराब है। आयुक्त हर्षिका सिंह शुरू से ही अनइच्छा से काम करती नजर आई और सूत्रों के मुताबिक पूर्व में भी उन्होंने अपने तबादले की इच्छा जाहिर की थी। मगर विधानसभा चुनाव के चलते तबादला हो नहीं पाया था। अब प्रदेश की बागडोर मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव के हाथ में हैं। वहीं इंदौर के ही ताकतवर वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय नगरीय एवं विकास मंत्री बन गए हैं। लिहाजा उनकी पसंद का निगमायुक्त आना तय है, ताकि महापौर सहित पूरी परिषद् को साथ लेकर चल सके। इंदौर में ही रह चुके कुछ अफसर निगमायुक्त की दौड़ में है, जिसमें चंद्रमौली शुक्ल के अलावा मनोज पुष्प, डॉ. अभय बेड़ेकर, विवेक श्रोत्रिय से लेकर पवन जैन, आदित्य सिंह सहित कुछ अन्य नाम भी चल रहे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि शुक्ल इंदौर में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। एसडीएम के अलावा प्राधिकरण सीईओ और अभी कोविड के दौरान भी उन्होंने इंदौर में अच्छा काम किया और उसी के नतीजे में देवास कलेक्टर बनाए गए थे और वर्तमान में हाउसिंग बोर्ड आयुक्त की जिम्मेदारी बखूबी संभाल रहे हैं। उन्हीं के प्रयासों से हुकमचंद मिल मजदूरों की 32 साल पुरानी समस्या हल हुई और उनकी जमा पूंजी की राशि बोर्ड ने जमा कर दी। शुक्ल के अलावा डॉ. बेड़ेकर भी निगमायुक्त की दौड़ में शामिल हैं। वे अपर कलेक्टर का जिम्मा संभाल चुके हैं, तो मंत्री विजयवर्गीय के कुछ वर्ष पूर्व ओएसडी भी रह चुके हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री इंदौर निगमायुक्त की बागडोर किसके हाथ में सौंपते हैं। हालांकि अन्य विभागों में भी अभी तबादले होना है। मतदाता सूची के प्रकाशन के चलते पिछले दिनों कलेक्टरों के तबादले पहले करना पड़े, क्योंकि 6 जनवरी को मतदाता सूची का प्रारूप आयोग ने प्रकाशित करवाया और उसके एक दिन पहले कलेक्टर की पदस्थापना की गई। आशीष सिंह भी चूंकि निगम कमिश्नर रह चुके हैं। लिहाजा उनकी भी मदद नगर निगम को मिलेगी, वहीं वर्तमान आयुक्त चूंकि खुद ही तबादला चाहती हैं, लिहाजा नए अफसर का सभी को इंतजार है। हालांकि नगर निगम की माली हालत अत्यंत खस्ता है। उस पर स्वच्छता में नम्बर वन बने रहने की तगड़ी चुनौती के साथ-साथ शहर को ठेले-गुमटियों, अतिक्रमण, अवैध निर्माणों से बचाने और यातायात में बेहतर करने के साथ नेताओं से सामंजस्य बैठाना भी उतना आसान नहीं है।
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