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घपलेबाज इंदौर, पांच-दस हजार लेकर वकील कर देते हैं रजिस्ट्री, हाउसिंग बोर्ड ने 36 लाख चुका दिए

  • April 22, 2025

    इंंदौर। घोटालेबाजों (Scamsters) का राज है… जितना लूट सके उतना लूट…आमतौर पर चाहे जितने करोड़ की रजिस्ट्री (Registry) हो इंदौर (Indore) में स्टाम्प वेंडर (Stamp Vendor) मात्र 5-10 हजार रुपए लेकर दस्तावेजों का पंजीयन करा देते हैं और अधिकतम राशि भी 25-50 हजार से ज्यादा नहीं हो सकती है, लेकिन इंदौर नगर निगम द्वारा मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल के पक्ष में हुकमचंद मिल की जमीन की रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प वेंडर को 36 लाख रुपए से ज्यादा की फीस चुका दी गई।


    पिछला वित्त वर्ष समाप्त होने से तीन दिन पहले नगर निगम द्वारा यह रजिस्ट्री कराई गई। इस रजिस्ट्री को संपदा 1.0 के तहत कराया गया। जब सरकार द्वारा संपदा 2.0 के रूप में घर बैठे रजिस्ट्री करने की सुविधा दी गई है तो उस सुविधा से रजिस्ट्री न करते हुए संपदा 1.0 का चयन किया गया। हुकमचंद मिल की रजिस्ट्री नगर निगम ने बतौर विक्रेता मप्र गृह निर्माण मंडल खरीदार के पक्ष में की है। यह रजिस्ट्री एक लाइसेंसधारक सेवाप्रदाता सतीश लाइसेंस नंबर 11743202100004 शॉपिंग काम्प्लेक्स एबी रोड इंदौर से 28 मार्च को करवाई। वैसे ही सर्विस प्रोवाइडरों द्वारा जो रजिस्ट्री की जाती है उसमें आज तक फीस का आंकड़ा 1 लाख रुपए तक भी नहीं पहुंचा होगा, लेकिन हाउसिंग बोर्ड ने रजिस्ट्री के लिए सर्विस प्रोवाइडर को भी डेढ़ प्रतिशत के हिसाब से 36 लाख रुपए से ज्यादा का शुल्क दिया है। जबकि मप्र गृह निर्माण मंडल भोपाल जो स्वयं संपत्तियों का अंतरण करता है, उसके अपने अधिकारी और संपदा शाखा द्वारा स्वयं लीज डीड, लीज अनुबंध लेख, लीज डीड सह विक्रय पत्र का लेख तैयार किया जाता है। इसी तरह नगर निगम भी स्वयं लीज, सब-लीज तथा गिरवीनामा, गिरवीनामा विमुक्ति लेख आदि तैयार करता रहा है।

    स्टाम्प शुल्क में भी विवाद… सरकारी विभाग को नहीं लगता शुल्क, मगर हाउसिंग बोर्ड ने 20 करोड़ चुकाए
    इंदौर नगर निगम द्वारा मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल के पक्ष में हुकमचंद मिल की जमीन की रजिस्ट्री कराई गई, जिसको लेकर एक विवाद शुरू हो गया है। जब सरकारी विभाग को स्टाम्प ड्यूटी में छूट प्राप्त है तो फिर इस रजिस्ट्री में 20 करोड़ रुपए से ज्यादा की स्टाम्प ड्यूटी चुकाए जाने पर भी सवाल उठ रहा है। इस रजिस्ट्री में जमीन की कीमत 218 करोड़ 64 लाख रुपए बताई गई। इस कीमत के हिसाब से 20 करोड़ रुपए से ज्यादा की स्टाम्प ड्यूटी चुकाई गई। यह स्टाम्प ड्यूटी उस स्थिति में चुकाई गई है, जब सरकार द्वारा यह नियम बनाया हुआ है कि सरकारी विभाग द्वारा एक विभाग से दूसरे विभाग को जमीन का अंतरण बिना स्टाम्प ड्यूटी के किया जा सकेगा।

    लोकायुक्त में करेंगे शिकायत
    पंजीयन कार्यालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रमोद द्विवेदी ने बताया कि अब इस रजिस्ट्री को लेकर यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर रजिस्ट्री संपदा 2.0 के तहत क्यों नहीं कराई गई। इसमें स्टाम्प ड्यूटी से मुक्ति का लाभ क्यों नहीं लिया गया। एक निजी सर्विस प्रोवाइडर को लाखों रुपए की कमाई कमीशन के रूप में क्यों करवाई गई। इन सवालों को लेकर कांग्रेस द्वारा इस पूरे मामले की शिकायत लोकायुक्त में की जाएगी।

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