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    Indore : गांधी नगर संस्था का फर्जी नक्शा बनाकर बेच डाले 28 करोड़ के अवैध भूखंड

  • October 02, 2024

    • पिनेकल ड्रीम घोटाले में अभी तक FIR नहीं
    • प्रशासन को लगातार मिल रही है ठगाए भूखंड पीडि़तों की शिकायतें, 15 महीने पहले निगम
    • भेज चुका है थाने पर पत्र, कल फिर आयुक्त से की शिकायत

    इंदौर। जमीनी जादूगरों (Ground wizards) से परेशान पीडि़त हर मंगलवार की सुनवाई (Hearing) में पहुंच जाते हैं। इसके अतिरिक्त भी प्रशासन, पुलिस और निगम को शिकायतें मिलती हैं। शहर की एक बड़ी और चर्चित गांधी नगर गृह निर्माण संस्था (Gandhi Nagar Sanstha) में भी भरपूर अनियमितताएं (Irregularities) हुईं और उसकी 425 पेज की रिपोर्ट सहकारिता विभाग में धूल खा रही है, तो दूसरी तरफ 28 करोड़ रुपए के अवैध भूखंड भी प्रबंधक सहित अन्य कर्ताधर्ताओं ने बेच डाले, जिसमें फर्जी नक्शा बनाकर 80 भूखंड के अलावा स्विपर लेन के 20 भूखंड भी शामिल हैं, तो दूसरी तरफ पिनेकल दी ग्रैंड और द ग्रैंड कॉलोनी के पीडि़त भी चक्कर काट रहे हैं और सालभर बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी।


    निपानिया के खसरा नम्बर 260/1, 261/1, 261/2, 264/1 की 8.311 हेक्टेयर जमीन पर कुछ वर्ष पूर्व पिनेकल द ग्रैंड और द ग्रैंड के नाम से कॉलोनी काटी गई, जिसके कर्ताधर्ता संजय अग्रवाल, रितु अग्रवाल, नीना अग्रवाल व अन्य रहे। नगर निगम से विकास अनुमति भी ली गई और धरोहर के रूप में रखे गए भूखंड भी बाद में बेच डाले। भूखंड पीडि़तों में शामिल राहुल रिजवानी का कहना है कि धरोहर के भूखंडों की रजिस्ट्री भी करवा दी, जो कि जेएसएम देवकॉन और जेएसएम देवकॉन इंडिया द्वारा की गई और हर रजिस्ट्री में संजय अग्रवाल ने सहमति दी। इस बारे में निगम के कॉलोनी सेल को पीडि़तों की ओर से शिकायत की गई थी, जिसके चलते कॉलोनी सेल ने 9 जून 2023 और फिर 26.06.2023 को थाना लसूडिय़ा को पत्र लिखते हुए एफआईआर दर्ज करने को कहा। मगर 15 महीने बाद भी कॉलोनी सेल के इस पत्र के आधार पर दोषी कॉलोनाइजर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा उसे बचाने के ही प्रयास होते रहे। यहां तक कि अपर आयुक्त कॉलोनी सेल ने कॉलोनाइजर को भी पत्र लिखकर पूछा था कि उनके खिलाफ मिली शिकायत पर वे हफ्तेभर में अपना स्पष्टीकरण दें। मगर कॉलोनाइजर ने भी निगम ने को कोई जवाब नहीं दिया और दूसरी तरफ पुलिस ने भी एफआईआर दर्ज नहीं की, जिसके चलते कल फिर से निगमायुक्त को एफआईआर दर्ज कराने के लिए पत्र सौंपा, जिसमें विकास अनुमति के साथ कॉलोनाइजर लाइसेंस को ब्लैक लिस्टेड करने का भी अनुरोध किया है। दूसरी तरफ गांधी नगर संस्था के पीडि़त भी कलेक्टर कार्यालय से लेकर सहकारिता विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। कल भी कुछ पीडि़त कलेक्टर से मिलने पहुंचे और उन्हें अपर कलेक्टर के पास भिजवा दिया। गांधी नगर के ही एक पीडि़त जीतू गोयल का कहना है कि संस्था के खिलाफ की गई शिकायत के आधार पर जांच अधिकारी जीएस परिहार ने 425 पेज की रिपोर्ट बनाई, जिसमें तमाम अनियमितताओं का स्पष्ट उल्लेख है। मगर सहकारिता विभाग में ही पदस्थ आशीष सेठिया द्वारा संस्था प्रबंधक फूलचंद पांडे को बचाया जाता रहा। यहां तक कि सेठिया ने जांच को दबाने के बदले एक भूखंड भी मांगा। उसकी भी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है और शिकायत में भी इसका उल्लेख किया गया है। यहां तक कि उपायुक्त मदन गजभिये ने भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।

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