हवा से ऑक्सीजन खींचकर मरीजों को देने के लिए लगाना होंगे प्लांट
इंदौर। कल रात शहर के बड़े अस्पताल संचालकों के साथ जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों की एक बैठक हुई, जिसमें सभी अस्पतालों से कहा गया है कि वे खुद का ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen plant) लगाएं और ऑक्सीजन जनरेट कर मरीजों को दें। खुद अस्पताल संचालकों ने इसको लेकर हामी भी भरी है। अरबिन्दो अस्पताल ने तो इस पर काम भी शुरू कर दिया है और जल्द ही अस्पताल का खुद का ऑक्सीजन प्लांट होगा, जिसमें हवा से ऑक्सीजन (Oxygen) खींचकर मरीजों को दे सकेंगे। बैठक में आए 28 अस्पताल संचालकों ने प्लांट लगाने पर सहमति दे दी, वहीं अरबिन्दो (Aurobindo) और सेंट फ्रांसीस अस्पताल (St. Francis Hospital) ने तो काम भी चालू कर दिया है।
रेसीडेंसी कोठी में हुई बैठक में कोविड प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी सहित जनप्रतिनिधि और जिला कलेक्टर मनीष सिंह भी मौजूद थे। बैठक में मौजूद अस्पताल संचालकों से कहा गया कि वे अपने-अपने अस्पताल में आवश्यकता के अनुसार हवा से ऑक्सीजन (Oxygen) खींचने वाला प्लांट लगाएं, ताकि ऑक्सीजन (Oxygen) के लिए अस्पताल को दूसरे विकल्पों पर आश्रित नहीं होना पड़े। कल की बैठक में 28 अस्पताल संचालक मौजूद थे। इनमे ंपहले ही अरबिन्दो अस्पताल (Aurobindo Hospital)अपने यहां प्लांट लगाने का काम शुरू कर चुका है, वहीं सेंट फ्रांसीस अस्पताल (St. Francis Hospital) संचालकों ने भी कंपनी को आर्डर कर दिया था और उनके यहां मशीन भी उतर चुकी हैं तथा प्लांट इंस्टालेशन का काम शुरू होने वाला है। बिजली कंपनी के महाप्रबंधक संतोष टैगोर भी बैठक में मौजूद थे। उन्होंने बताया कि अस्पताल अगर ये प्लांट लगा लेते हैं तो आने वाले समय में ये अस़्पताल अपने यहां मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध करा सकेंगे और इसकी किल्लत भी नहीं होगी।
ऐसा होता है एयर सक्शन प्लांट…
इस प्लांट को एयर सक्शन प्लांट कहा जाता है। इसके माध्यम से वातावरण की ऑक्सीजन (Oxygen) को लेकर उसे मरीजों के लिए प्यूरीफायर किया जाता है और फिर उसे पाइप लाइन या सिलेंडर के माध्यम से मरीजों तक पहुंचाया जाता है। एक बार अस्पताल प्रबंधन इसका इन्वेस्टमेंट करता है तो लंबे समय तक वह इसका फायदा ले सकता है। वर्तमान में शहर के दो बड़े अस्पतालों को छोडक़र सभी अस्पताल लिक्विड ऑक्सीजन (Oxygen) और सिलेंडर पर ही निर्भर है, हालांकि इसकी लागत अधिक होती है। पूरे देश में मात्र 34 कंपनियां ही इस प्लांट को लगाती हैं और अधिकांश शहरों से इन्हें आर्डर आना शुरू हो गए हंै, वहीं सरकारी अस्पतालों में इस तरह के प्लांट लगाने की तैयारी की जा रही है। एक प्लांट को लगाने में 20 से 25 दिनों का समय लगता है और अगर 200 सिलेंडरों का प्लांट लगाया जाता है तो उसकी लागत 1 करोड़ रुपए तक हो सकती है। सिलेंडरों की संख्या के ऊपर इसकी लागत निर्भर होती है।
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