इन्दौर। न्याय नगर (Nyay Nagar) संस्था की जमीन पर काबिज कृष्णबाग कालोनी (Krishnabagh Colony) के 58 पक्के मकानों पर आज बुलडोजर (Bulldozer) चलना थे, मगर कल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के स्टे के चलते फिलहाल तीन माह की राहत मिल गई है। कलेक्टर आशीष सिंह (collector Ashish Singh) ने इस पूरे मामले में अत्यंत ही सूझबूझ का परिचय दिया और उनके प्रयासों से ही शासन ने सुप्रीम कोर्ट पर एसएलपी दाखिल की, जिस पर स्टे प्राप्त हुआ। दरअसल हाई कोर्ट को तीन विचारधीन मामलों में फैसला देना है। इसमें सहकारिता विभाग द्वारा निरस्त की गई एनओसी, नगर निगम तथा नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा निरस्त किए गए अभिन्यासों के अलावा जमीन के स्वामित्व संबंधित विवाद का भी निराकरण होना है।
पिछले दिनों हाई कोर्ट आदेश पर ही प्रशासन, पुलिस और नगर निगम अमले ने एमआर 10 से लगे हुए रामकृष्णबाग के 15 मकानों पर बुलडोजर चलाए थे और उस दौरान भी महिलाओं सहित रहवासियों ने इस कार्रवाई का तीखा विरोध भी किया, मगर प्रशासन की मजबूरी हाई कोर्ट आदेश का पालन करने की थी, क्योंकि श्रीराम बिल्डर्स की ओर से अवमानना याचिका भी दायर कर रखी थी। दरअसल न्याय नगर संस्था की 8 एकड़ जमीन 21 साल पहले बिक गई थी, जो श्रीराम बिल्डर्स के पास है। शासन और प्राधिकरण हालांकि इस जमीन को छोड़ चुका है, मगर आपरेशन भू-माफिया के दौरान तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने सहकारिता विभाग द्वारा दी गई एनओसी को निरस्त करवाया और उसके बाद तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने मंजूर नक्शे को भी निरस्त कर दिया था, उसे भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर बिल्डर के पक्ष में स्टे हुआ और इसी तरह सहकारिता विभाग द्वारा जो एनओसी निरस्त की गई, उस पर भी स्टे बिल्डर को हासिल हो गया। इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने 77 हजार स्क्वेयर फीट जमीन पर निर्मित 71 मकानों को तोडक़र कब्जा दिलवाने के आदेश भी दिए, जिसके चलते पिछले दिनों रिमूवल की कार्रवाई की गई और 15 मकान तोड़े गए और 58 मकानों पर आज कार्रवाई होना थी, मगर कल सुप्रीम कोर्ट के स्टे से सभी को राहत मिल गई। रहवासियों ने कल शाम स्टे आदेश मिलने पर खुशियां जाहिर करते हुए मिठाई भी बांटी और इस दौरान पार्षद पति महेश जोशी भी मौके पर पहुंचे। इस पूरे मामले में कलेक्टर आशीष सिंह की रणनीति और सूझबूझ भी काम आई और उनके प्रयासों के चलते ही सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दर्ज हुई, जिसमें शासन का पक्ष तो रखा ही गया, वहीं शासन और रहवासियों की ओर से भी पक्ष रखा गया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इन्दौर हाई कोर्ट को निर्देश दिए हैं कि वह जो लंबित याचिकाएं हैं, उन पर तीन माह में फैसला करें और अवमानना की कार्रवाई पर भी जोर नहीं दिया जाएगा। अब हाई कोर्ट को जमीन के स्वामित्व, अभिन्यास और एनओसी निरस्ती की याचिकाओं पर फैसला देना होगा और तब तक रिमूवल की कार्रवाई रुके रहेगी।
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