इंदौर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर बेंच (Indore Bench) ने नौ साल पुरानी इस याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया. साल 2015 में कुछ किसान संगठनों (Farmers’ organizations) के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए लहसुन को सब्जियों की कैटेगरी में डाल दिया गया था. वह बात अलग थी कि कुछ ही समय में कृषि विभाग ने यह आदेश रद्द करते हुए लहसुन को फिर से मसाले का दर्जा दे दिया. इसके पीछे दलील यह दी गई कि कृषि उपज बाजार समिति अधिनियम, 1972 में लहसुन को मसाला कहा गया है. इसके बाद साल 2017 में एक बार फिर से एक रिव्यू पिटीशन कोर्ट में दायर की गई. इस बार मामला सीधा हाई कोर्ट के दो जजों की बेंच के सामने आया. जनवरी 2024 में इस बेंच ने पिछले फैसले को पलट दिया यानी अब कहा गया कि लहसुन एक मसाला है.
लेकिन अब इस बात पर व्यापारी बिफर गए. उनको फैसला रास न आया तो फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया. मार्च में दो जजों वाली बेंच के फैसले का रिव्यू करने की अपील दाखिल की गई. कई दलीलों के बाद अब जाकर ये मामला सुलझ पाया. इंदौर बेंच ने फरवरी 2017 वाले फैसले को ही बरकरार रखा. यानी 2015 में मार्केट बोर्ड ने जो फैसला लिया था, लहसुन पर वही लागू होगा. साफ शब्दों में कहें तो हाई कोर्ट ने ताजा फैसले में लहसुन को सब्जी करार दिया और नौ साल पुराने मामले में फैसला सुनाया.
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