इंदौर। माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर द्वारा आज दिनांक 5 अक्टूबर 2020 को न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा एवंन्यायमूर्ति शैलेंद्र शुक्ला की युगल पीठ द्वारा फैसला पारित किया गया। प्रकरण में इंटरवेनर एप्लिकेशन विजय पाल सिंह के लिए अधिवक्ता समीर सक्सेना आशीष जोशी एवं उपेंद्र उज्जवल फणसे के माघ्यम से दायर की गई थी जिसमे याचिकाकर्ता की मांग पर न्यायालय आदेश पारित किया है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि खासगी ट्रस्ट की संपूर्ण भारत में स्थित संपत्तियों पर निर्माण या अतिक्रमण कर उसके स्वरूप को परिवर्तित किया गया हो या उसे बिगाड़ा गया हो तो उसे उसके मूल स्वरूप में मध्यप्रदेश शासन अपने व्यय पर पुन: लेकर आए। इसके साथ ही माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जिला दंडाधिकारी हरिद्वार को संभाग आयुक्त इंदौर के अधीन करते हुए यह निर्देशित किया गया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि हरिद्वार स्थित खासगी ट्रस्ट की संपत्ति कुशाव्रत घाट और अन्य सभी खाजगी ट्रस्ट की लोक संपत्ति आम जनता को उपलब्ध कराई जाए।
अधिवक्ता आशीष जोशी ने बताया यह निर्देश ना सिर्फ हरिद्वार की बल्कि संपूर्ण भारत वर्ष में स्थित खासगी संपत्तियों को लेकर फैसला दिया गया यह भी कहा गया है कि मध्यप्रदेश शासन यह सुनिश्चित करें कि खासगी ट्रस्ट की कोई भी संपत्तियों को पुनः विक्रय ना किया जावे और सभी कुएं बावड़ी घाट मंदिर धर्मशाला एव धरोहर की समस्त ट्रस्ट संपत्तियो को आने वाले पीढ़ियों के लिए ऐतिहासिक महत्व देखते हुए पुनः ऐतिहासिक स्वरूप में संरक्षित किया जा सके।
फैसले में यह बात भी स्पष्ट रूप से कहीं गई कि खाजगी ट्रस्ट की संपत्ति को इंदौर कलेक्टर एवं रजिस्टर पब्लिक ट्रस्ट द्वारा मध्यप्रदेश शासन की संपत्ति में विविध करने हेतु वैधानिक कदम उठाने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी खासगी संपत्तियों को संरक्षित एवं संधारित रखने का कार्य करेगी और ट्रस्ट द्वारा विक्रय की गई संपत्तियों पर पुनः अपना स्वामित्व और आधिपत्य लेने हेतु आवश्यक कदम उठाएगी।
कमेटी में निम्न सदस्य होंगे
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