कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों के चलते कट रही हैं नई कॉलोनियां, अभी गाइडलाइन कम रहने से बैंक लोन में भी कई जगह आ रही हैं परेशानियां
इंदौर। अभी तक अचल सम्पत्तियों की कलेक्टर गाइडलाइन (Guide line) मार्च के महीने में संशोधित कर नए वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल से लागू की जाती है, जो वर्षभर अमल में भी आती है। मगर इस बार पहली मर्तबा वित्तीय वर्ष के बीच में कई इलाकों में गाइडलाइन को संशोधित करने के साथ नई कॉलोनियों को शामिल करने की कवायद पंजीयन विभाग ने शुरू की है। दरअसल इंदौर के चारों तरफ सडक़ों, ओवरब्रिजों, नेशनल हाईवे सहित कई बड़े प्रोजेक्ट आ रहे हैं, जिसके चलते इन क्षेत्रों में तेजी से जमीनों के भाव तो बढ़े ही, वहीं कई कॉलोनियां विकसित होने लगी। पंजीयन विभाग ने 25 जुलाई तक इस संबंध में आम जनता सहित कॉलोनाइजरों, रियल इस्टेट से जुड़ी संस्थाओं से सुझाव मांगे हैं।
बीते डेढ़ साल से इंदौर (Indore) के रियल इस्टेट कारोबार में अप्रत्याशित तेजी आई है और परिणाम स्वरूप स्टाम्प ड्यूटी से पंजीयन विभाग को जहां जबरदस्त कमाई हो रही है, वहीं दस्तावेजों यानी रजिस्ट्रियों की संख्या में भी जबरदस्त उछाल आया है। एक साल में इंदौर की चारों दिशाओं में ढेरों कॉलोनियां लॉन्च हो गई और कई अन्य प्रोजेक्ट भी रियल इस्टेट से संबंधित आ रहे हैं। दरअसल मेट्रो प्रोजेक्ट सहित इंदौर-पीथमपुर इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब से लेकर नेशनल हाईवे द्वारा इंदौर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण सडक़ों के निर्माण किए जा रहे हैं, तो एमपीआईडीसी के औद्योगिक क्लस्टरों के साथ सेतु बंधन योजना के तहत नए फ्लायओवरों का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते इनसे जुड़े आसपास के क्षेत्रों में जमीनों के भाव में एकाएक तेजी आई है। लिहाजा कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने उप जिला मूल्यांकन समितियों को निर्देश दिए हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 की गाइडलाइन का विशेष पुनरीक्षण किया जाए, जिसके चलते कई नए क्षेत्रों या जहां पर प्लॉटों या फ्लेटों की बाजार कीमत 3 से 4 गुना अधिक है और गाइडलाइन कम, वहां तर्कसंगत और युक्तिसंगत किया जाए। वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि नौकरीपेशा या अन्य लोगों को बैंक लोन लेने में परेशानी आती है, क्योंकि गाइडलाइन के आधार पर ही बैंकें लोन संबंधित भूखंड या फ्लेट पर देती है। चूंकि कई क्षेत्रों में गाइडलाइन 3 से 4 गुना तक कम है, जिसके चलते संबंधित व्यक्ति को उतना बैंक लोन नहीं मिल पाता, जितनी की उसे जरूरत रहती है। मजबूरी में उसे उन प्राइवेट बैंकों की शरण लेना पड़ती है जिनकी ब्याज दरें ऊंची है। लिहाजा इस तरह की परेशानियों को दूर करने के लिए जनता से ही सुझाव लिए गए हैं। वहीं कई नई कॉलोनियों को अभी मंजूरियां तेजी से मिल रही है। वहां के लिए भी गाइडलाइन निर्धारित होना है। लिहाजा आज से लेकर 25 जुलाई तक जिले के सभी उप पंजीयक कार्यालयों, जिला पंजीयक कार्यालयों में कार्यालयीन समय पर कोई भी व्यक्ति गाइडलाइन के विशेष पुनरीक्षण पर अपने सुझाव दे सकता है या ई-मेल भी कर सकते हैं। प्राप्त होने वाले सुझावों पर चर्चा कर दावे-आपत्तियां के आमंत्रण और फिर उनकी सुनवाई के बाद 15 अगस्त से यह नई पुनरीक्षित गाइडलाइन की दरें लागू होने की संभावना है। इससे जहां नकद राशि के लेन-देन में कमी आएगी और विवाद भी घटेंगे और गाइडलाइन को व्यवहारिक बनाया जाएगा। यह भी उल्लेखनीय है कि गत वर्ष पंजीयन विभाग को 2200 करोड़ का राजस्व मिला था, जिसमें इस बार अच्छी-खासी वृद्धि होगी और ढाई हजार करोड़ का आंकड़ा भी पार हो सकता है। क्योंकि अभी 1 अप्रैल से लेकर 30 जून तक ही लगभग 400 करोड़ रुपए हासिल हो चुके हैं और रजिस्ट्रियों की संख्या 31 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है, जो कि गत वर्ष की तुुलना में अधिक ही है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved