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    8 हजार करोड़ पार रहेगा इंदौर सरकार का बजट, नर्मदा के साथ कचरा उठवाना भी पड़ेगा महंगा

  • July 22, 2024

    निगम ने बजट की तैयारियां शुरू की, खाली खजाने को भरने के लिए नागरिकों की जेब और करेंगे खाली, विरोध भी शुरू, पिछले बजट के ही अधिकांश दावे हुए धराशायी

    इंदौर। अभी हुई महापौर परिषद् (Mayor’s Council) की बैठक में 2024-25 के बजट (budget)अनुमानों की अनुशंसा की गई। जल्द ही नगर निगम (municipal corporation) अपना सालाना बजट पेश करेगा। गत वर्ष साढ़े 7 हजार करोड़ का बजट था, तो इस बार 8 हजार करोड़ (cross 8 thousand crores) पार होने की उम्मीद है। हालांकि चालू वित्त वर्ष के चार महीने खत्म होने भी आए हैं और शेष 8 माह के लिए बजट आएगा। वैसे तो पिछले बजट के ही अधिकांश दावे धराशायी हो गए, क्योंकि निगम की माली हालत अत्यंत खस्ता है। जो कार्य चल रहे हैं वे भी बार-बार बंद हो जाते हैं। शासन निकायों की माली हालत बढ़ाने पर जोर दे रहा है, जिसके चलते नर्मदा (Narmada) के साथ कचरा संग्रहण (garbage collection) शुल्क की राशि भी इंदौरी नागरिकों को महंगी पड़ेगी, जिनका शुल्क बढ़ाने का विचार किया जा रहा है। हालांकि इसका विरोध भी शुरू हो गया है। सम्पत्ति कर में तो निगम हर साल ही रेट झोन बदलकर परिवर्तन करता ही रहा है और पिछले 10 सालों में ही शहर के अधिकांश क्षेत्रों में सम्पत्ति कर दो गुना तक हो गया है।


    इस बार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते शहर सरकार का बजट भी अप्रैल माह में पेश नहीं हो पाया, तो केन्द्रीय बजट भी कल पेश होने जा रहा है। शहर सरकार यानी नगर निगम का पिछले वित्त वर्ष का बजट साढ़े 7 हजार करोड़ का था, जिसमें 88 करोड़ का घाटा दिखाया गया था। मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए शहर में मिलेट्स कैफे खोलने की घोषणा भी महापौर ने अपने बजट भाषण में की थी और डिजीटल सोलर, ग्रीन-योग सिटी के साथ बेस्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिटी बनाने के भी दावे किए। मगर इनमें से एक भी दावा पूरा नहीं किया जा सका। दरअसल, पिछला साल चुनावों में ही बीत गया और चूंकि निगम में जनप्रतिनिधियों का ही राज है, तो वे भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जुटे रहे, तो दूसरी तरफ नगर निगम का माली हालत लगातार खस्ताहाल ही रही। उस पर फर्जी बिल महाघोटाला अलग उजागर हो गया। नगर निगम के विकास कार्यों से जुड़े टेंडरों को कोई ठेकेदार लेने को तैयार नहीं है और पूर्व के मंजूर कार्य भी ठप पड़े हैं। शहर में सडक़ों, पुलों से लेकर कई प्रोजेक्ट आधे-अधूरे हैं, क्योंकि निगम के पास ठेकेदारों को चुकाने की राशि ही नहीं है। निगम ने पिछला बजट पेपरलेस यानी डिजिटल पेश किया था। अब इस बार 8 हजार करोड़ पार बजट होने का अनुमान है। हालांकि 4 माह इस वित्त वर्ष के भी लगभग बीत चुके हैं। ऐसे में संभव है कि बजट की राशि कम हो जाए, क्योंकि अब 8 माह के लिए ही बजट आना है। सम्पत्ति कर में तो नगर निगम हर साल नगर निगम होशियारी से रेट झोन बदलकर इजाफा कर रहा है, मगर अब जल कर यानी नर्मदा का पानी महंगा हो जाएगा। 200 की बजाय 300 रुपए प्रतिमाह लेने पर विचार किया जा रहा है, तो कचरा संग्रहण शुल्क भी बढ़ेगा। हालांकि भाजपा के ही विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों ने इस संभावित वृद्धि का विरोध शुरू कर दिया है और विपक्ष में बैठी कांग्रेस तो हल्ला मचाएगी ही। अब देखना यह है कि शहर सरकार के बजट में नागरिकों को क्या लोक लुभावने सपने दिखाए जाते हैं तथा उनकी जेब किस तरह और हल्की होगी। हालांकि शहरभर में समस्याओं का अम्बार है। आवारा पशु-कुत्तों से तो जनता हलाकान है ही, वहीं जगह-जगह कचरे के ढेर अलग नजर आने लगे हैं और अभी शुरुआती बारिश में ही शहर की अधिकांश सडक़ें गड्ढामय हो गई हैं, जिन पर निगम पेंचवर्क कराएगा, तो आधी आबादी को अब भी नर्मदा का पानी नहीं मिलता है। अभी गर्मियों में ही महंगी दरों पर टैंकर डलवाना पड़े। नागरिकों का भी कहना है कि उन्हें बढ़ा हुआ कर देने में कोई समस्या नहीं है, मगर उसके मुताबिक नगर निगम अपनी सेवाओं में भी तो सुधार करे।

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