एमवाय हॉस्पिटल में तीन सप्ताह की मशक्कत के बाद
इंदौर। तीन हफ्ते पहले एमवाय हॉस्पिटल में भर्ती किए गए 2 सिर, 1 धड़ 3 हाथ वाले बच्चे की स्वस्थ होने के बाद छुट्टी कर दी गई है। उसका इलाज करने वाले डॉॅक्टर का कहना है कि यह पहला मामला है। तीन सप्ताह तक चले इलाज के बाद बच्चा स्वस्थ होकर बाद घर सकुशल वापस लौटा है, वरना पिछले सालों में एमवाय हॉस्पिटल में इसके पहले इस तरह के जितने भी मामले आए उनमें बच्चे जीवित नहीं रहे।
एमवाय हॉस्पिटल के बाल चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. ब्रजेश लाहोटी ने कहा, वाकई यह बहुत दुर्लभ मामला है, जिसे डाइसेफेलिक पैरापेगस कहते हैं। मेडिकल साइंस में इस तरह के बच्चों का जन्म करोड़ों में एक में होता है। इसमें बच्चों के शरीर के अंग आपस में जुड़े रहते हैं। उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। तब वाकई बच्चे के बचने की उम्मीद बहुत कम थी, लेकिन लगभग तीन हफ्ते इलाज के बाद बच्चे की हालत में धीरे-धीरे सुधार होता गया। अब वह दूध भी पीने लगा है। स्वस्थ हालत में उसकी एमवाय हॉस्पिटल से छुट्टी कर दी गई है। गौरतलब है कि जावरा की रहने वाली शाहीन पति सोहेल खान ने 1 धड़, 2 सिर व 3 हाथ वाले इस अनोखे बच्चे को रतलाम के एमसीएच में पिछले माह मार्च में जन्म दिया था। इसके बाद बच्चे की नाजुक स्थिति को देखते हुए एमवाय हॉस्पिटल भेज दिया था। 29 मार्च से इस अनोखे बच्चे का एमवाय में ही डॉक्टर लाहोटी की देखरेख में इलाज किया जा रहा था।
ऐसे बच्चे जीवित नहीं रह पाते हैं
मेडिकल साइंस की भाषा में इस स्थिति को पोलीसेफली कंडीशन भी कहा जाता है, जो 1 धड़ पर 2 सिर होने की दुर्लभ घटना होती है। इस तरह जुड़े बच्चों को 2 सिर वाला बच्चा भी कहा जाता है। ऐसे अधिकांश डिसेफेलिक ट्विंस बच्चे मृत पैदा होते हैं या जन्म के तुरंत बाद मर जाते हैं। डॉक्टरों का ये भी कहना है कि ऐसे कुछ मामलों में बच्चे के 2 हार्ट और 4 हाथ भी हो सकते हैं।
19 साल पहले जन्म लेने वाले ऐसे ट्विंस जीवित
पूरे देश में इस तरह का एक मामला लगभग 19 साल पहले पंजाब के अमृतसर में भी हो चुका है। 2 सिर वाले जुड़वां भाई सोहना और मोहना का जन्म साल 2003 में दिल्ली में हुआ था। दोनों के मुंह अलग, लेकिन धड़ एक ही था। ये अब भी जिंदा हैं।
मवाय हॉस्पिटल में इसके पहले भी 2 सिर व 1 धड़ वाले बच्चों के मामले आए हैं, मगर वे ज्यादा दिन जीवित नहीं रहे। यह पहला मामला है कि इस तरह का बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ होकर परिजनों के साथ घर रवाना हो गया है। वहां के स्थानीय डॉक्टरों को अभी 6 महीने तक बच्चे के स्वास्थ्य की निगरानी रखना होगी।
-डॉक्टर ब्रजेश लाहोटी, बाल चिकित्सा विभाग, एमवाय हॉस्पिटल, इंदौर
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