- मामला आदर्श श्रमिक गृह निर्माण में हुए चर्चित भू-घोटाले का, सहकारिता विभाग ने शुरू की कार्रवाई, संतोषी माता के 140 पीडि़तों को दो दिन में दिलवा दिए कब्जे भी
इंदौर। 1982 में एक निजी कारखाने में काम करने वाले 100 मजदूरों (workers) ने जमा पूंजी इकट्ठा कर खजराना (Khajrana) में जमीन खरीदी, लेकिन संस्था का रजिस्ट्रेशन (registration) नहीं करवा पाए, जिसके चलते मजदूरों की ही पूर्व की ही एक संस्था आदर्श श्रमिक सहकारी में शामिल हो गए। जमीन के भाव बढऩे पर जिस तरह अन्य गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें अन्य भूमाफियाओं (land mafia) ने हड़प ली, उसी तरह इस संस्था की भी जमीन (Earth) रसूखदारों ने अपने कब्जे में ले ली। सहकारिता विभाग ने धारा 53-बी के तहत कार्रवाई करते हुए संस्था के 5 संचालकों को पद से हटाते हुए 6 साल के लिए अयोग्य भी घोषित कर दिया। दूसरी तरफ प्रशासन द्वारा संतोषी माता गृह निर्माण के पीडि़तों को कब्जे दिलवाए जा रहे हैं। दो दिन में ही 140 पीडि़तों को कब्जे दिलवा दिए, वहीं आज भी सुबह 10 से शाम 6 बजे तक शिविर लगाया गया है। इंद्रप्रस्थ कालोनी और पंचशील एन्क्लेव के पीडि़तों को ये कब्जे दिलवाए जा रहे हैं।
आदर्श श्रमिक गृह निर्माण के भी पीडि़त सदस्य सालों से चप्पलें घिस रहे हैं। मगर चूंकि इस संस्था पर भाजपाई भूमाफियाओं (land mafia) का कब्जा रहा। लिहाजा अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। अन्यथा शासन-प्रशासन ने कई संस्थाओं की बिकी जमीनें पिछले दिनों रसूखदारों से सरेंडर भी करवा ली। इस संस्था की 6 एकड़ जमीन में से 3.15 एकड़़ जमीन सुयश कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स ने खरीद ली और जिस पते से जमीन बिकी उसी पते पर खरीदी भी हो गई। संस्था के उपाध्यक्ष और कम्पनी के डायरेक्टर एक ही व्यक्ति रहे। सुयश कंस्ट्रक्शन की जमीन अशोक डागा के पास है, तो कुछ जमीनें कमला एवेन्यू रिसोर्ट (Avenue Resort) और भारतीय स्टेट जैसी निजी फर्म के नाम पर भी हो गई। 65 नए सदस्य बनाकर रजिस्ट्रियां भी करवा दी गई और 100 असल सदस्य शिकायतें ही कर रहे हैं। इन शिकायतकर्ताओं में एक पीडि़त ईश्वर पोरवाल (Ishwar Porwal) ने बताया कि सहकारिता विभाग के उपायुक्त मदन गजभिये ने अभी एक विस्तृत आदेश जारी करते हुए पूर्व में जो कारण बताओ नोटिस संचालकों को जारी किए थे, उसका यथोचित जवाब ना मिलने पर 5 संचालकों को दोषी पाया है, जिसके चलते मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 53 बी/ख के तहत श्रीराम कचोलिया, राजेश जगदीशचंद्र, कुमारी पल्लवी, दिनेश झंवर, श्रीमती संगीता, संजय बलदेवा एवं गौरव गिरधारीलाल काकाणी को संचालक मंडल से हटाते हुए 6 वर्षों के लिए संस्था के अधीन कोई भी पद धारण करने से अयोग्य भी घोषित कर दिया है। नगर तथा ग्राम निवेश से संस्था के कर्ताधर्ताओं से जो अभिन्यास मंजूर करवाया उसमें जमीन का उपयोग वाणिज्यिक, सामान्य के अलावा सेक्टर उद्यान और मार्ग बताया और नए अभिन्यास में 6 ब्लॉक के भूखंड बेच डाले। दूसरी तरफ कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर डायरी पर बिके भूखंडों के साथ-साथ गृह निर्माण संस्थाओं में कब्जे दिलवाने की प्रक्रिया भी चल रही है। अभी संतोषी माता गृह निर्माण के पीडि़तों को प्रशासन की टीम कब्जे दिलवा रही है, जिसके लिए तीन दिन शिविर का आयोजन भी किया गया। अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर ने इसकी बागडोर संभाल रखी है। उन्होंने बताया कि दो दिन में ही लगभग 140 सदस्यों को कब्जा दिलवाया जा चुका है। कल दूसरे दिन भी 70 पीडि़तों को मौके पर कब्जा देते हुए पत्र भी सौंपे गए। इनमें 110 सदस्य इंद्रप्रस्थ और 30 सदस्य पंचशील एन्क्लेव कालोनी के शामिल रहे।