कल भी आधे शहर में तेज गिरा पानी, आयोजकों के चेहरे लटके
इंदौर। आज सुबह से मौसम तो खुला हुआ है, लेकिन मौसम विभाग (Meteorological Department) ने बारिश (Rain) की चेतावनी भी दी है। चारों ओर एक ही चर्चा है कि इस बार रावण (Raavan) जलेगा (burn) या गलेगा (melt)। इसी को लेकर आयोजकों के चेहरे भी लटके नजर आ रहे हैं। जिन आयोजकों ने वॉटरप्रूफ रावण बनाया है, उसको जलाने की तैयारी तो उन्होंने की है, लेकिन छोटे-छोटे गली-मोहल्ले और कालोनियों में बनने वाले रावणों को जलाने का संकट भी सामने दिखाई दे रहा है।
कुछ सालों पहले इसी तरह दशहरे के दिन बारिश हुई थी और रावण गल गए थे। जैसे-तैसे आयोजकों ने रावण को जलाने की रस्म पूरी की थी। इस बार फिर कुछ इसी तरह का माहौल नजर आ रहा है। पिछले तीन दिनों से हर शाम शहर में ेबंारिश हो रही है और कल भी तेज पानी गिरा, जिससे रावण के पुतले गीले हो गए हैं। शहर में सैकड़ों स्थानों पर रावण के पुतलों का दहन किया जाता है। इसमें 5 फीट के रावण से लेकर 111 फीट के पुतले जलाए जाते हैं। दशहरा मैदान, उषागंज, रामबाग,तिलक नगर, विजयनगर और चिमनबाग के आयोजकों ने संभावित बारिश को देखते हुए रावण के पुतले को पॉलीथिन से पैक किया है और उसे वॉटरप्रूफ बनाया है, लेकिन यहां मैदान में कीचड़ होने के कारण दर्शकों को परेशानी होगी। दूसरी ओर खालसा कॉलेज और श्रीकृष्ण टॉकीज के सामने बनाए गए रावण के पुतले वॉटरप्रूफ नहीं है। कल भी पुतले भीग गए, जिन्हें बमुश्किल बचाया गया, वहीं शहर में रेडिमेड रावण के पुतलों का बाजार भी इस बार ठंडा पड़ गया। लोग पुतलों को खरीद तो रहे हैं, लेकिन बारिश में गीला होने के कारण मोल-भाव ज्यादा हो रहा है। हालांकि इस बार पुतलों के दाम में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी हुई है। अब देखना यह है कि शाम को रावण जलकर मरेगा या पानी से गलकर।