समाज से जुड़ा पुलिस का एक जिम्मेदार चेहरा
इन्दौर। पुलिस का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे अपराधियों के पसीने छूटने लग जाते हैं, मगर गरीब, असहाय और मजदूर वर्ग के बच्चों के लिए इन्दौर और उज्जैन के रेलवे स्टेशनों पर शुरू की गई प्लेटफार्म पाठशाला में पढऩे आने वाले बच्चे पुलिसकर्मियों से इस तरह घुल-मिल गए हैं कि अब वे एक दिन भी पाठशाला में आए बिना नहीं रहते। इसलिए कहलाते हैं हम नम्बर वन, क्योंकि जो पुलिस अपराधियों को कानून का पाठ पढ़ाती है, वही पुलिस मजदूर तबके के बच्चों को शिक्षा देकर अच्छा नागरिक बनने की सलाह भी दे रही है।
पढ़ाई जीवन का आधार है, इसी मूल मंत्र को लेकर इन्दौर जीआरपी थाने में थाना प्रभारी गायत्री आनंद सोनी ने अपने नेतृत्व में लॉकडाउन के बाद अनलॉक हुए शहर में काम करने वाले मजदूरों के बच्चे, प्लेटफाॉर्म पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चे, सीवरेज प्रोजेक्ट में लगे मजदूरों के बच्चों को शिक्षा देने का संकल्प लिया, जिसे उन्होंने एनजीओ जनसाहस के सहयोग से मूर्त रूप भी दिया और शहर के साथ ही एनजीओ के साथ मिलकर उज्जैन रेलवे स्टेशन पर भी प्लेटफॉर्म पाठशाला की शुरुआत की। प्रतिदिन 2 से 4 बजे तक लगने वाली शहर की इस अनोखी पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने वाले बच्चों को शिक्षा देने के लिए जीआरपी थाने पर आरक्षक पद पर पदस्थ अलका शारदे और निकिता चौबे अपना फर्ज निभाने के बाद समय निकालकर शिक्षादान दे रही हैं। आरक्षक अलका ने अग्निबाण से चर्चा में बताया कि अब हमें भी इन बच्चों को पढ़ाने की लत-सी लग गई है। एक दिन भी यह बच्चे हमारे प्लेटफार्म स्कूल में नहीं आते हैं तो हमें पूरा दिन अधूरा-सा लगता है। एनजीओ प्रमुख आसिफ शेख अपनी साथी प्रमिला के साथ मिलकर बच्चों को पढ़ाई के लिए बैग, किताबें, कॉपियां मुहैया करवाते हैं।
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