402 सदस्यों वाली भाजपा कार्य समिति में 23 इंदौरी नेताओं को भी मिली एंट्री… सभी गुटों को दी तवज्जो
इन्दौर। देश (Country) की राजनीति धर्म और जाति के आधार पर ही चलती रही है। तमाम राजनीतिक दल (Political Party) भले ही दावे विकास के करते रहें, मगर चुनाव ( Election) में प्रत्याशियों के चयन से लेकर पूरा प्रचार-प्रसार जातिगत और धार्मिक वोटों के समीकरणों के आधार पर ही टिका रहता है। कल देर रात भाजपा कार्यसमिति की जो जम्बो सूची जारी की गई वह पहले जाति आधारित थी, यानी जिन-जिन नेताओं को शामिल किया गया उनके सामने उनकी जाति लिखी गई थी। यह पहला ऐसा मामला था, जब किसी राजनीतिक दल ने घोषित रूप से जातिगत आधार पर पद बांटे हों। थोड़ी ही देर में सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना होने लगी तो सवा घंटे बाद ही जातिगत आधार पर सूची को स्थगित कर दिया और फिर दूसरी सूची जारी की गई, जिसमें जाति का कॉलम हटा दिया गया।
लम्बे समय से इस कार्यसमिति की प्रतीक्षा की जा रही थी, जो कि कल रात जारी की गई। इसमें सभी गुटों को तवज्जो तो दी गई, वहीं सिंधिया गुट का भी वर्चस्व देखा गया। यहां तक कि इंदौर से जो सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट, प्रमोद टंडन विपिन खुजनेरी भाजपा में शामिल हुए उन्हें भी कार्यसमिति में शामिल किया गया है। लगभग 408 सदस्यों की इस सूची में 162 नेता प्रदेश कार्यसमिति, 218 विशेष आमंत्रित सदस्य के अलावा 28 स्थायी आमंत्रित सदस्य शामिल किए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया, थावरचंद गेहलोत, कैलाश विजयवर्गीय, सुमित्रा महाजन, प्रहलाद पटेल, विक्रम वर्मा, प्रभात झा सहित पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे को स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। इन 23 सदस्यों में नरोत्तम मिश्रा, माया सिंह, गोपाल भार्गव, माखनसिंह सहित अन्य नाम भी शामिल हैं। वहीं प्रदेश कार्यसमिति में भी सभी जिलों के भाजपा नेताओं को मौका मिला है तो शहर से हरिनारायण यादव, विपिन खुजनेरी, मालिनी गौड़, रमेश मेंदोला, सुदर्शन गुप्ता, मुद्रा शाी, अंजू माखीजा, उषा ठाकुर, तुलसीराम सिलावट को लिया गया है। वहीं गोपीकृष्ण नेमा, गोविंद मालूू, प्रमोद टंडन, शंकर लालवानी, सुभाष चौधरी, कंचनसिंह चौहान, राधेश्याम यादव, हुकुमसिंह सांखला के भी नाम हैं। मजे की बात यह है कि रात 11 बजे के आसपास जो कार्यसमिति की सूची जारी की गई उसमें नाम तो सब यही थे, लेकिन एक जाति का कॉलम भी विशेष रूप से बनाया, जिसमें सभी नेताओं की जातियां भी दर्शाई गई थीं। ब्राह्मण, राजपूत, गुर्जर, जाटव, वैश्य, धाकड़, माली, कोरी, रावत, लोधी, पंजाबी, सिंधी, खटीक, कुर्मी, अहिरवार, तेली, गौड़, सिख, साहू, क्रिश्चियन, पंवार, कलार, कटिया, कायस्थ, कुम्हार, मराठा, रावत, जैन, सोनी सहित अन्य जातियों का उल्लेख किया गया था। किरकिरी मचने पर जातिगत सूची निरस्त कर नई सूची जारी की गई।
शिवराज धाकड़, तो सिंधिया को बताया राजपूत
जाति आधारित सूची में जो स्थायी आमंत्रित सदस्य बताए गए उनमें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की जाति धाकड़ बताई गई तो थावरचंद गेहलोत बलाई, कैलाश विजयवर्गीय ब्राह्मण तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को राजपूत बताया गया। प्रहलाद पटेल लोधी, विक्रम वर्मा जाट, नरोत्तम मिश्रा ब्राह्मण और भगवतशरण माथुर कायस्थ, ओमप्रकाश धुर्वे गौड़, सत्यनारायण जटिया जाटव बताए गए। यहां तक कि इंदौर के नेता मधु वर्मा की जाति पूर्व महापौर बता दी गई। सोशल मीडिया पर जाति आधारित इस सूची की तुरंत ही आलोचना होने लगी। कांग्रेस प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने भी ट्वीट किए। उसके बाद ताबड़तोड़ यह सूची वापस ली गई और फिर जाति का कॉलम हटाकर संशोधित नई सूची जारी की गई। कार्यसमिति में वैसे तो सभी गुटों को तवज्जो दी गई, लेकिन राज्यसभा सांसद और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी दबदबा नजर आया। कुछ असंतुष्टों को भी शामिल कर संतुष्ट करने के प्रयास किए गए। कांग्रेस ने जाति का कॉलम हटाने के बाद कहा कि अच्छा हुआ, वरना भाजपा भारतीय जाति पार्टी के रूप में जानी जाती।
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