इंदौर। पिछले दिनों न्याय नगर संस्था (Municipal institution of justice) की कृष्णबाग कॉलोनी (Krishnabagh Colony) में जिला प्रशासन (District Administration) द्वारा अवैध मकानों (Illegal houses) पर रिमूवल की कार्रवाई की गई थी, लेकिन पूरे मामले में पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें सभी रहवासियों को एक बड़ी जीत मिली है। अब न्याय नगर के कृष्णबाग कॉलोनी में कोई कार्रवाई नहीं होनी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए स्टे (Stay) के बाद सभी रहवासियों ने राहत की सांस ली है।
26 जुलाई को अतिक्रमण वाले दिन भी स्टे के बावजूद मकानों को तोड़ने के मामले में हाईकोर्ट ने एसडीएम, तहसीलदार को नोटिस जारी किए थे, जिसमें जिला प्रशासन ने 26 जुलाई को यहां पर 15 मकानों पर अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई की थी। इनमें से पांच मकान ऐसे थे, जिन पर स्टे था। इसके बावजूद उन्हें तोड़ा गया।
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न्याय नगर संस्था की जमीन पर बने 16 अवैध मकानों को हटाने पर लगा स्टे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। बताया जाता है कि न्याय नगर में एक खसरे की 77 हजार वर्गफीट जमीन पर 71 मकान अवैध रूप से बना लिए गए थे। हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश पर पिछले सप्ताह 12 से 13 मकान तोड़े गए थे। इसके बाद रहवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त को सुनवाई का हवाला दिया दिया था।
ऐसे चला था मिलीभगत का खेल
न्याय नगर में श्रीराम बिल्डर्स की जमीन पर संस्था के कर्ताधर्ताओं ने प्लॉट बेचकर करोड़ों रुपए कमाए। प्लॉट बिके, उन पर करीब 20 वर्ष में 71 मकान बने, तब निगम के किसी भी अफसर ने आपत्ति नहीं ली। बाद में राजस्व विभाग ने टैक्स वसूलना शुरू किया, तो भी किसी अफसर ने आपत्ति नहीं जताई। अब जब अदालत ने कहा कि यह जमीन श्रीराम बिल्डर्स की है तो प्रशासन, पुलिस और निगम के अफसर बुलडोजर लेकर अवैध निर्माण तोड़ने पर आमादा हैं, जबकि आमजन से धोखाधड़ी करने वाले न्याय नगर संस्था के मनोज नागर, कमल सोलंकी और राजेश राठौर खुलेआम घूम रहे हैं। वहीं निगम के बिल्डिंग अफसर और राजस्व अफसरों की लापरवाही को भी अनदेखा किया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि मामले में प्रशासन, पुलिस, निगम अफसर और भू-माफियाओं की मिलीभगत होने से रहवासियों पर गाज गिर रही है।
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