इंदौर। इंदौर (Indore) में कृषि महाविद्यालय (Agricultural College) को शिफ्ट करने के प्रस्ताव के विरोध (opposition to the proposal) में आंदोलन कर रहे छात्रों और किसान नेताओं (students and farmer leaders) को अब मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) का साथ मिल गया है। उन्होंने खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) को पत्र लिखकर कृषि महाविद्यालय को न हटाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि तीसरी बार मध्यप्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) और इंदौर जिला प्रशासन (Indore District Administration) ने महाविद्यालय के अनुसंधान केंद्र (research centre) की जमीन हड़पने की योजना बनाई है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रदेश के किसान नेता केदार सिरोही (Farmer leader Kedar Sirohi) ने उन्हें जानकारी दी कि जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने नेताओं व बिल्डरों से मिलकर वर्षों से ऑक्सीजन ज़ोन का काम कर रहे रेसीडेंसी एरिया के स्थान पर कृषि महाविद्यालय परिसर की जमीन पर ऑक्सीजन ज़ोन और सिटी फॉरेस्ट बनाने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले दो साल से भी अधिक समय से शहर के बीचोंबीच स्थित रेसीडेंसी एरिया में लगे हजारों-हजार हरे-भरे वृक्ष इन्दौर को शुद्ध हवा देने का काम कर रहे हैं। इन्दौर के भू-माफिया की इस बेशकीमती जमीन पर नजर है। वे तिकड़मबाजी कर रेसीडेंसी एरिया को व्यवसाय और वाणिज्य क्षेत्र में बदलवाने की कुचेष्टा कर रहे हैं। कुछ शीर्ष स्तर के अधिकारी भी इन्दौर के पर्यावरण से खिलवाड़ करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।
दिग्विजय ने लिखा कि जिस तरह रेसिडेंसी एरिया की हरियाली इंदौर की पहचान है उसी तरह ब्रिटिश टाईम से बना कृषि महाविद्यालय भी उन्नत कृषि की आधारशिला रख रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इंदौर भ्रमण के समय इस केन्द्र के कार्यो की सराहना की थी। यहां यह उल्लेखनीय है कि मालवा की खेती पूरी दुनिया में सराही जाती है। यहां के किसानों ने सभी प्रकार की फसलों की पैदावार में मालवा का नाम रोशन किया है। इन्दौर का कृषि महाविद्यालय किसानों की आशाओं का केन्द्र बिन्दु है। हर साल सैकड़ों छात्र यहां से पास होकर मालवा की मिट्टी का कर्ज उतार रहे है।
कृषि महाविद्यालय के अनुसंधान केन्द्र की भूमि पर जैविक खेती का कार्य सन 1905 से प्रारंभ होकर विश्व प्रसिद्ध काम्पोस्ट विधि द्वारा जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। अनुसंधान परिसर वर्ष 1924 से आय.पी.आय. संस्थान, कृषि अनुसंधान एवं प्रसार के अतिरिक्त कृषि शिक्षण में भी योगदान देता आ रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी द्वारा 23 अप्रैल 1935 को केन्द्र में भ्रमण के दौरान कम्पोस्ट विधि से उत्पादित खाद के महत्व को बताते हुए कृषकों व वैज्ञानिकों को यह परामर्श दिया था कि यदि हम रासायनिक खाद का उपयोग अपने खेतों में करेंगे तो आने वाले 60-70 वर्षो पश्चात 80 प्रतिशत जनता जहरीला खाद्यांन ग्रहण करेगी।
किसान नेताओं का कहना है कि कृषि महाविद्यालय इन्दौर का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। महाविद्यालय की भूमि पर सिटी फारेस्ट या आक्सीजन झोन बनाने के इस प्रस्ताव से कृषि अनुसंधान, बीज उत्पादन, कृषि शिक्षा आदि प्रभावित होगें। इससे कृषि एवं किसानों की उन्नति में गतिरोध उत्पन्न होगा। किसान नेता श्री योगेन्द्र यादव ने कृषि महाविद्यालय इन्दौर की भूमि पर प्रस्तावित कार्यो को निरस्त कर भूमि को यथावत रखे जाने का निवेदन किया है। दिग्विजय ने शिवराज स कहा कि मेरा आपसे अनुरोध है कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कृषि महाविद्यालय इन्दौर की भूमि पर प्रस्तावित सिटी फॉरेस्ट और आक्सीजन झोन के प्रस्ताव को निरस्त करते हुए महाविद्यालय को यथावत रखे जाने के निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें।
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