निगेटिव रिपोर्ट आई फिर कैसे हुई मौत, मौत से पहले कौन से इंजेक्शन लगाए, रूपए के लिए अब ग्रेटर कैलाश में रोका शव
इंदौर। देर रात को पलासिया के समीप ग्रेटर कैलाश नर्सिंग होम (Greater Kailash Nursing Home) में एक कोरोना संक्रमित ( Corona Infected) महिला की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टर (Doctor) पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। परिजन का आरोप है कि लापरवाह डॉक्टरों पर कार्रवाई करने की बजाय उनसे थाने में माफी नामा लिखवाया। बकाया रुपए वसलूने के लिए शव को रोक लिया।
चितावद (Chitwad) की रहने वाली प्रेमलता पति कुशल पाल की रात को ग्रेटर कैलाश अस्पातल में मौत हो गई। परिजन का कहना है कि डॉक्टर मौत का कारण हार्ट अटैक (Heart Attack) बता रहे हैं। इससे पहले प्रेमलता को 19 अप्रैल को संक्रमित होने के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उन्हें फेफडों में करीब 80 प्रतिशत संक्रमण था। परिजन ने बताया कि उनकी हालत में सुधार भी रहा था, जिसके चलते उम्मीद बढ़ रही थी। इलाज के लिए पहले ही अस्पताल में तीन लाख जमा करवा दिए थे। मौत से दो दिन पहले प्रेमलता ने वीडियो कॉल (Video Call) पर बेटी कोमिका, बेटे अमित और अन्य से कहा था कि यहां से ले चलो कोई डॉक्टर जांच करने नहीं आता। पानी के लिए ये लोग तरसा रहे हैं। जब पानी मांगती हूं तो घंटों बाद लाकर देते हैं। परिजन ने बताया कि प्रेमलता की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। मौत से एक दिन पहले ही अस्पताल वालों ने दो महंगे इंजेक्शन दिए। कहा कि इनकी हालत में सुधार हो रहा है। फिर अचानक अटैक कैसे आ सकता है। डाक्टरों की लापरवाही से जान गई। परिजनों का आरोप है कि दो अन्य मरीजों की अटैक से कल ही मौत हुई है। इनके इलाज में भी लापरवाही हुई है। इसी बात को लेकर कल परिजनों ने हंगामा किया। बेटी कनिका का गुस्सा एक डॉक्टर पर भी फूटा। इसके बाद पलासिया पुलिस मौके पर पहुंची और मरीज के परिजन को डांटने डपटने लगी। उन्हें थाने ले जाकर माफीनामा भी लिखवाया गया। अब अस्पताल वालों ने शव को रोक लिया और कह रहे है के डेढ़ लाख जमा करो तभी शव देंगे।
पूरी ज्वैलरी बेच दी, लेकिन अस्पताल में मिटाना पड़ा सिंदूर
कोरोना संक्रमण से पीडि़त मरीजों के किस्से सुनते-सुनते आंखों से आंसू झलक पड़ते है। कल भंवरकुआं के एप्पल अस्पताल (Apple Hospital) में नरेश सिंह निवासी सुंदर नगर की भी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि नरेश के लिए पत्नी सपना ने पति को बचाने के लिए तीन लाख की ज्वैलरी बेच दी, लेकिन पति नहीं बच पाया और उसे अस्पताल में सिंदूर मिटाना पड़ा। नरेश का शव बकाया रूपयों के लिए रोक लिया था, जिसके बाद भंवरकुआं टीआई संतोष दूधी और पंकज फतेचंदानी और गगन खुबानी ने अस्पातल प्रबंधन से भिडक़र सपना को पति का शव दिलवाया।
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