इन्दौर। कलेक्टर आशीष सिंह (collector Ashish Singh) के साथ ही निगमायुक्त वर्मा (corporator verma) और पुलिस प्रशासन (Police Administration) ने यातायात सुधारने (improve traffic) और शहर संवारने का निश्चय दिखाते हुए आज जहां शहर की यातायात व्यवस्था में बाधक बने 4 ट्रेवल्स (4 Travels) पर कार्रवाई करते हुए उनके दफ्तर सील कर दिए और बसों को बाहर खदेड़ दिया। वहीं सरवटे टू गंगवाल (Sarwate to Gangwal) के मार्ग में बाधक बने धर्म स्थलों को भी हटाने का काम शुरू करते हुए बियाबानी स्थित एक दरगाह को जमींदोज कर दिया।
बीच चौराहे बनी दरगाह हटाई
सरवटे टू गंगवाल सडक़ के काफी हिस्से तो कई जगह पूरी तरह बनकर तैयार हो गए हैं, लेकिन कई धर्मस्थल बाधक बने हुए हैं। इनमें नृसिंह बाजार-बियाबानी के बीच सडक़ पर बनी दरगाह को पुलिस और प्रशासन और निगम ने संयुक्त कार्रवाई कर हटाया। इस क्षेत्र में बने अन्य बाधक धर्मस्थलों को हटाने के बाद उन्हें छत्रीपुरा थाने के समीप काम्प्लेक्स में शिफ्ट कर विधि-विधान से स्थापना की जाएगी।
सरवटे टू गंगवाल सडक़ कई वर्षों बाद अब भी आधी-अधूरी ही है। सरवटे से हाथीपाला तक इसका काम हुआ है और हाथीपाला से लेकर चंद्रभागा हनुमान मंदिर तक और वहां से पंढरीनाथ के बीच सडक़ आधी-अधूरी ही है। इसके लिए निगम अलग एजेंसी तय कर काम शुरू कराने वाला है, लेकिन सडक़ के बाधक धर्मस्थलों के कारण एजेंसी आगे नहीं बढ़ पा रही थी। इस मार्ग पर मच्छी बाजार से लेकर गंगवाल बस स्टैंड तक सडक़ में दरगाह सहित 9 धर्मस्थल बाधक हैं, जिनमें से बियाबानी चौराहे के धर्मस्थल को आज हटाने की कार्रवाई की गई। इस धर्मस्थल के कारण यातायात में बाधा आती थी और कई बार जाम की नौबत बनती थी।
सडक़ घेरने वाले यातायात के बाधक 4 ट्रेवल्स सील
शहर के बीचोबीच ट्रेवल्स चलाने और यात्रियों की भीड़ जमा करने के साथ ही बसों की कतार लगाने और बसों के शहर से गुजरने के दौरान ट्रैफिक में होने वाली बाधाओं को प्रशासन ने एक झटके में समाप्त कर दिया और छोटी ग्वालटोली पटेल प्रतिमा से लेकर झाबुआ टावर और ढक्कनवाला कुएं पर जमे चार ट्रेवल्स के आफिस सील कर उनकी बसों को शहर से बाहर खदेड़ दिया।
प्रशासन की सबसे पहली कार्रवा्ई ढक्कनवाला कुआं स्थित हंस ट्रेवल्स पर हुई, जो पुलिस सहित पूरे प्रशासन को चुनौती देता हुआ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सामने के मार्ग पर पूरी तरह कब्जा करते हुए गीता भवन चौराहे से बसों की कतार गुजारकर पूरे ट्रैफिक का सत्यानाश करता रहा। कई बार प्रशासन यहां चाहकर भी कार्रवाई नहीं कर पाया, लेकिन कलेक्टर आशीष सिंह के बुलंद हौसले ने आज उसकी सारी हेकड़ी मिटा डाली। ट्रेवल्स संचालक समय मांगता रहा, लेकिन प्रशासन ने आफिस सील कर बसों को खदेड़ दिया।
प्रशासन की दूसरी कार्रवाई छोटी ग्वालटोली स्थित ट्रेवल्स संचालकों पर हुई। यहां भी पटेल प्रतिमा को घेरकर बसों का लवाजमा लगता था। लोगों का आना-जाना व निकलना मुश्किल था। प्रशासन ने यहां मौजूद मुल्तानी सोना ट्रेवल्स , अशोक ट्रेवल्स के दफ्तर जहां सील किए, वहीं झाबुआ टावर स्थित सिटीलिंक, शताब्दी ट्रेवल्स और संजय ट्रेवल्स पर भी कार्रवाई की।
एक माह पहले दिए थे शहर के बाहर जानेे के निर्देश
कलेक्टर आशीष सिंह ने परिवहन विभाग, नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस के साथ पिछले माह की गई बैठक में ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट पर शहर के बीच से चलने वाली बसों को शहर के बाहर बसों के संचालन के लिए 45 दिन का समय दिया गया था, लेकिन किसी भी बस संचालक की नींद नहीं उडऩे पर आज बड़ी कार्रवाई की गई।
हंस ने कल ही दिखाई थी दादागीरी…
बस हटाने का बोला तो पुलिसकर्मी को ड्राइवरों और क्लीनरों ने पीट डालाप्रशासन द्वारा आज की गई कार्रवाई कल हंस ट्रेवल्स के संचालकों द्वारा दिखाई गई दादागीरी का परिणाम है। ट्रेवल्स के बाहर बसें खड़ी कर ट्रैफिक जाम करने पर एक पुलिसकर्मी ने आपत्ति ली तो ट्रेवल्स के ड्राइवर और क्लीनरों ने उसे बुरी तरह पीट डाला। घटना के बाद पीटने वालों पर केस करने के बाद आज प्रशासन ने ट्रेवल्स को ही सील कर दिया।
डीसीपी झोन-2 के दफ्तर में पदस्थ आरक्षक रामबाबू प्रजापत बाइक से गीता भवन होते हुए ढक्कनवाले कुएं की तरफ जा रहा था। उसे जब हंस ट्रेवल्स के ऑफिस के पास बसों के कारण जाम लगा दिखा तो उसने बस ड्राइवर को बस साइड से खड़ी करने को कहा तो क्लीनर नीरज गालियां बकने लगा और कहने लगा कि हमारी मर्जी, जहां मन करेगा, वहां बस खड़ी करेंगे। बात बढ़ी और बहस होने लगी तो उसने साथियों को बुला लिया और उन्होंने रामबाबू के साथ मारपीट की। पुलिसकर्मी रामबाबू को सिर, आंख और चेहरे पर चोटें आईं। रामबाबू की शिकायत पर पुलिस ने मो. अकरम, कुलदीप जायसवाल, नीरज राठौर, आशिफ व अन्य साथी पर केस दर्ज किया और आज हंस ट्रेवल्स सील कर दिया गया।
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