इंदौर। इसी माह 1 जुलाई से देश के क्रिमिनल कानून में हुए बड़े बदलाव के तहत नए क्रिमिनल कानून और पुराने क्रिमिनल कानून के अंतर के चलते कई तरह के कंफ्यूजन सामने आ रहे हैं। इन्हें समझने और दूर करने के लिए संस्था न्यायाश्रय द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में बताया कि अभी जिला न्यायालय में पुराने प्रकरणों में नई धाराओं के आवेदन लगा दिए जा रहे हैं, जबकि पुराने प्रकरणों पर पुराने कानून की धाराएं ही लगेंगी। जो अपराध 1 जुलाई के बाद हुए हैं, उन पर नए कानून की धाराएं लगेंगी। इसी प्रकार भले ही अपराध 1 जुलाई के पहले हुए हो, किंतु न्यायालय ने यदि संज्ञान 1 जुलाई के बाद लिया है अथवा चार्ज बाद में लगाया है तो नए कानून के तहत ट्रायल चलेगी। विधि व्याख्याता पंकज वाधवानी ने बताया कि पहले धारा 154 के तहत होने वाली एफआईआर अब धारा 173 के तहत दर्ज होगी। कार्यशाला में बड़ी संख्या में विधि विद्यार्थियों एवं वकीलों द्वारा भाग लिया गया। उल्लेखनीय है कि गत 1 जुलाई से देश में भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता या बीएनएस, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता या बीएनएसएस और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम या बीएसबी लागू हो चुका है।
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