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1618 करोड़ का घाटा बताकर इंदौरी कम्पनी देगी महंगी बिजली का झटका

January 02, 2025

  • नियामक आयोग के समक्ष साढ़े ७ फीसदी बिजली महंगी करने की तीनों कम्पनियों के साथ शासन ने भी दायर की याचिकाएं, चार हजार करोड़ से अधिक का बताया घाटा

इंदौर। हर साल बिजली कम्पनियां घाटा बताकर नियामक आयोग के समक्ष याचिकाएं दायर कर बिजली महंगी कर देती है। इस साल की शुरुआत में ही इंदौर सहित प्रदेश की तीनों बिजली कम्पनियों के साथ शासन ने भी 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक का घाटा बताकर याचिकाएं दायर कर दी, जिसमें साढ़े 7 फीसदी बिजली महंगी करना प्रस्तावित किया गया है। इंदौर की बिजली कम्पनी ने अपना घाटा 1618 करोड़ रुपए बताया है और अगले एक महीने में ही महंगी बिजली के झटके घरेलू से लेकर अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को लगने लगेंगे।

मध्यप्रदेश में तीन बिजली कम्पनियां कार्यरत है, जिसमें पूर्व क्षेत्र जबलपुर, मध्य क्षेत्र भोपाल के साथ पश्चिमी क्षेत्र इंदौर शामिल है। उसके साथ-साथ शासन द्वारा एमपी पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी का संचालन किया जाता है। लिहाजा मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के समक्ष शासन सहित तीनों बिजली कम्पनियों ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें 54637 करोड़ के राजस्व का अनुमान लगाया है, जिसमें 4 हजार 107 करोड़ रुपए का घाटा बताया है, जिसकी पूर्ति के लिए 7.52 यानी साढ़े 7 फीसदी बिजली की दरों में वृद्धि प्रस्तावित की गई है। इंदौर की बिजली कम्पनी की बात की जाए तो उसे कुल 23132 करोड़ रुपए के राजस्व की जरूरत पड़ेगी, जिसमें से वर्तमान बिजली विक्रय से उसे 21514 करोड़ रुपए हासिल होते हैं और 1618 करोड़ का इसमें घाटा है, जो कि बिजली महंगी कर पूरा किया जाएगा।


इसमें घरेलू, कृषि, चार्जिंग स्टेशन, रेलवे, कोयला खदान, औद्योगिक, शॉपिंग मॉल से लेकर मेट्रो, सार्वजनिक जलप्रदाय संयंत्र, सिंचाई व अन्य तमाम कार्यों के लिए ली जाने वाली बिजली की कीमत बढ़ जाएगी। घरेलू उपभोक्ताओं से ही दर वृद्धि के बाद 988 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय बिजली कम्पनियों को होगी, तो गैर घरेलू से 218 करोड़ रुपए और सार्वजनिक जल प्रदाय संयंत्रों और स्ट्रीट लाइट से 104 करोड़, निम्न दाब उद्योगों से 62, कृषि संबंधित गतिविधियों से डेढ़ हजार करोड़ रुपए की राशि प्राप्त होना है। इसी तरह कोयला खदानें, शॉपिंग मॉल और अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं से बढ़ी हुई दरें वसूलकर 4107 करोड़ रुपए अतिरिक्त हासिल किए जाएंगे। इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने अपना घाटा 1618 करोड़ रुपए बताया है, जो कि शेष अन्य दोनों वितरण कम्पनियों से अधिक ही है। घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को अभी 151-300 यूनिट के मौजूदा टेरिफ स्लैब का लाभ मिलता है।

उसे अब संशोधित कर 150 यूनिट तक ही सीमित किया जाएगा। यानी इससे अधिक बिजली जलाने वाले छोटे उपभोक्ताओं को भी बिजली की कीमत अधिक चुकानी पड़ेगी। हालांकि फिलहाल झुग्गी झोपड़ी समूह के लिए डीटीआर मीटर के माध्यम से जो टैरिफ अभी है उसे तब तक जारी रखा जाएगा जब तक कि घोषित और अघोषित अवैध कॉलोनियों में विद्युतीकरण के साथ सभी उपभोक्ताओं का मीटरीकरण नहीं हो जाता। स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए सुबह 9 से 5 बजे ऑफ पीक अवधि के दौरान खपत की गई ऊर्जा के लिए सामान्य दर पर 20 फीसदी की टीओडी छूट प्रस्तावित की गई है। इसी तरह रात 10 से सुबह 6 बजे के दौरान टैरिफ की सामान्य दरों पर ही भुगतान करना पड़ेगा। हरित ऊर्जा शुल्क भी वर्ष 2025-26 के लिए दो तरह से प्रस्तावित किया गया है। पहला कार्बन चिन्ह को कम करने और दूसरा ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोतों से बिजली हासिल करने वाले उपभोक्ताओं की श्रेणी में लिया जाएगा। वहीं एचवी-3 टैरिफ के तहत उच्च दाब उपभोक्ताओं को वर्तमान में लागू सभी छूट आगामी वित्त वर्ष में भी जारी रहेगी। इन याचिकाओं के खिलाफ 24 जनवरी तक आपत्तियां प्रस्तुत की जा सकेंगी।

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