इंदौर। नगर निगम कभी भी नर्मदा प्रोजेक्ट का बिजली का बिल ही जमा नहीं कर पाया है। हर बार शासन चूंगी क्षतिपूर्ति की राशि में से बिजली बिल की राशि को काटकर कंपनी को इसका भुगतान करता रहा है। अभी 25 करोड़ रुपये से अधिक की राशि फिर नगर निगम पर इन्दौर की बिजली कंपनी की बकाया है और इस बाबद नोटिस भी जारी किया गया। इन्दौर नगर निगम सहित सभी नगरीय निकायों के भी यही हाल है। अभी 93 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के बिजली बिलों का भुगतान बकाया है।
जलूद से इन्दौर पानी लाकर बंटवाने पर हर साल 150 करोड़ से अधिक की राशि बिजली बिल पर ही खर्च होती है और उसके बदले में नगर निगम एक तिहाई जलकर की राशि भी उपभोक्ताओं से वसूल नहीं कर पाता है। सब्सिडी पर जलकर की राशि ली जाती है, जिसके चलते बिजली कंपनी की करोड़ों की राशि हमेशा ही नगर निगम पर बकाया रहती है। अभी नगरीय प्रशासन और विकास विभाग ने बिजली कंपनियों को चूंगी क्षतिपूर्ति की राशि में से बकाया बिलों की पूर्ति करने के निर्देश दिए है।
93 करोड़ से अधिक की राशि तीनों बिजली कंपनियों की बकाया है। इसमेंं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को 104 नगरीय निकायों से लगभग 36 करोड़, पूर्वी क्षेत्र की कंपनी को 133 नगरीय निकायों से साढ़े 21 करोड़ रुपये और मप्र पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इन्दौर को 36 करोड़ रुपये की राशि इन्दौर सहित 89 निकायों से वसूलनी है। जिसके चलते इन्दौर की बिजली कंपनी ने भी पिछले दिोनं बकाया राशि के भुगतान के लिए निगम को नोटिस भेजा था, इसमें 25 करोड़ से अधिक की वर्तमान की बिजली बिल की राशि शेष है।
अब शासन जो हर माह नगर निगम को चूंगी क्षतिपूर्ति की राशि भिजवाता है, उसमें से बिजली बिल की यह राशि काटकर बिजली कंपनी को जमा करवाएगा। देवास निगम पर भी 1 करडो़ 39 लाख, रतलाम निगम पर डेढ़ करोड़ से अधिक और पीथमपुर में 71 लाख से अधिक का बिजली बिल बकाया हो गया। नर्मदा प्रोजेक्ट के तीनों चरणों को संचालित करने के लिए हर माह करोड़ों रुपये का बिजली बिल आता है। अब इसे घटाने के लिए निगम सौलर प्लांट भी जलूद में लगवा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि इससे बिजली बिल घटाने में मदद मिलेगी।
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