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    इंदौर बाल कल्याण समिति का ढाई महीने से नहीं हो रहा गठन

  • June 18, 2024

    उज्जैन पर पांच जिलों का प्रभार…
    19 बच्चे गोद देने तो सैकड़ों को न्याय दिलाने में आ रही परेशानी

    इंदौर। इंदौर (Indore) जिले में जहां हजारों दम्पति (couple) बच्चे (Child) की किलकारी सुनने के लिए तरस रहे हैं, वहीं अनाथ आश्रमों (Orphanages) में रह रहे 19 बच्चे माता-पिता का आसरा पाने की पहली सीढ़ी ही नहीं चढ़ पा रहे हैं। इन बच्चों को लीगल फ्री (Legal Free) कराने के लिए कानूनी कार्रवाई के साथ साथ बाल कल्याण समिति की सहमति जरूरी है, लेकिन ढाई महीने से अधिक बीत जाने के बावजूद भी इंदौर में समिति का गठन ही नहीं हो पाया है।


    महिला एवं बालविकास विभाग के अंतर्गत नाबालिग बच्चों के संबंधित समस्याओं, मामलों और गोद देने की प्रक्रिया में बाल कल्याण समिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हर दिन चलाए जा रहे भिक्षावृत्ति अभियान रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर लावारिस मिले बच्चों, विभिन्न तरह की प्रताडऩाओं से रेस्क्यू की गई बच्चियां या बाल मजदूरी करते पाए गए बच्चों को न्याय दिलाना है, समिति की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, लेकिन ढाई महीने बीत जाने के बावजूद भी इंदौर जिले में बाल कल्याण समिति का गठन नही हो पाया। भोपाल स्थित मुख्य कार्यालय की लेटलतीफी इंदौर जिले के बच्चों को भुगतना पड़ रही है। अधिकारी जहां इन बच्चों को पेश करने के लिए उज्जैन के चक्कर काट रहे हैं, वहीं गोद देने की प्रक्रिया थमी पड़़ी हुई है। 19 बच्चों को लीगल फ्री कराने के लिए अधिकारी सीडब्ल्यूसी के गठन की राह देख रहे हैं।

    हर साल लगभग 30 बच्चों को मिले माता-पिता
    यदि महिला एवं बालविकास विभाग द्वारा गोद देने की प्रक्रिया पर नजर दौड़ाई जाए तो पिछले तीन सालो में प्रतिवर्ष लगभग 30 बच्चों को गोद दिया गया। लावारिस, अनाथ और त्याग दिए बच्चों को लीगल फ्री कर जल्द से जल्द कारा पोर्टल पर दर्ज किया जा रहा है, जिससे इन बच्चों को गोद देने में आसानी हो रही है, लेकिन पिछले ढाई महीने से यह प्रक्रिया रुक सी गई है। चार अप्रैल को इंदौर समिति का कार्यकाल खत्म होने के बाद विभाग ने 2 मई को विभाग में उज्जैन समिति को इंदौर का प्रभार भी सौंप दिया था। इस समिति पर शाजापुर, आगर-मालवा, देवास की जिम्मेदारी पहले से ही थी। अब ऐसे में एक साथ पांच जिलों के काम निपटाने में समिति पिछ़ड़़ रही है।

    तीन साल में 83 बच्चों को मिले माता-पिता
    महिला एवं बालविकास विभाग की मदद से अब तक 83 बच्चों को न केवल माता-पिता का प्यार नसीब हो सका है, बल्कि परिवार के साथ रहकर वे एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं। 2021-22 में 16 बच्चे जहां देश में गोद दिए गए, वहीं एक बच्चे को विदेशी दम्पति ने गोद लिया था। कोरोना काल में लगे लाकडाउन के दौरान भी यह प्रक्रिया नहीं थमी थी, जबकि 2022-23 में 29 बच्चे देश में गोद दिए गए, वहीं इस साल एक बच्चा विदेशी परिवार का हुआ। 2023 के आंकड़ों पर नजर दौडाई जाए तो 31 बच्चे देश में तो पांच बच्चे विदेश में गोद दिए गए, लेकिन 2024 के 6 महीने बीत जाने के बावजूद भी सिर्फ पांच बच्चों को ही गोद दिया जा सका है।

    उम्र बढ़ रही
    ज्ञात हो कि बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया में अधिकतर नि:संतान दम्पति को दो साल तक के बच्चों को गोद देेने के लिए प्राथमिकता देते हैं, जबकि तीन से छह साल तक के बच्चों को कम प्राथमिकता दी जाती है, वहीं 6 साल से बड़े बच्चों को गोद देने में काफी परेशानी का सामना विभाग को करना पड़ता है। ऐसे में 6 साल की उम्र पार कर चुके 10 से 12 बच्चे हर दिन बढ़े हो रहे हैं, वहीं छह साल तक की उम्र वाले पांच बच्चे लीगल फ्री होने का रास्ता देख रहे हैं। सरकार को जल्द ही इस ओर कदम उठाने की आवश्यकता है।

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