इंदौर, अमित जलधारी। इंदौर-बुधनी रेल लाइन प्रोजेक्ट में एक अहम बदलाव करते हुए रेल विकास निगम लि. (आरवीएनएल) ने इसकी लंबाई सात किलोमीटर तक घटा दी है। पहले यह प्रोजेक्ट 205 किमी लंबाई का था और अलाइनमेंट में बदलाव के बाद यह 198 किमी लंबा रह गया है। इंदौर-बुधनी रेल लाइन के लिए आरवीएनएल ने इंदौर जिले में कार्यों की शुरुआत भी कर दी है। सबसे पहले सरकारी जमीन पर पुल-पुलियाओं और रोड अंडरब्रिज का काम शुरू किया जा रहा है। क्षेत्रीय लोगों को काफी समय से रेल लाइन का काम शुरू होने का इंतजार था। इंदौर-बुधनी रेल लाइन को मांगलिया रेलवे स्टेशन से पहले इंदौर-देवास रेल लाइन से मिलाया जाएगा।
अब तक इस प्रोजेक्ट का काम बुधनी-बरखेड़ा सेक्शन में हो रहा था, लेकिन अब मांगलिया से 10 किमी दूर से 50 किलोमीटर के बीच पुल-पुलियाओं और रोड अंडरब्रिज आदि के काम किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार भी प्रोजेक्ट क्रियान्वयन में पूरा सहयोग कर रही है और काम जल्दी पूरा करने के लिए उसने सरकारी जमीन पर स्ट्रक्चर निर्माण की अनुमति दे दी है। उसी के बाद काम शुरू हुए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बुधनी-बरखेड़ा के बीच लगभग 10 किलोमीटर लंबे सेक्शन में लाइन बिछ चुकी है और अब ट्रैक लिंकिंग का काम हो रहा है। इसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इस साल के रेल बजट में इंदौर-बुधनी रेल लाइन प्रोजेक्ट को 514 करोड़ रुपए की राशि मिली है, इसलिए फिलहाल सभी जिलों में जमीन अधिग्रहण का काम तेजी से हो रहा है। इंदौर और देवास जिले में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से की जा रही है। देवास जिले की बागली तहसील के 15 में से 14 गांवों की जमीन आरवीएनएल को मिल चुकी है। बाकी जमीन भी जल्द मिलने की उम्मीद है।
सात किमी घट गई लंबाई, नौ किमी लंबी सुरंग भी बनेगी
– इंदौर-बुधनी रेल लाइन मूलत: इंदौर-जबलपुर रेल लाइन प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इसकी लंबाई 342 बताई गई थी। बाद में तय हुआ कि प्रोजेक्ट के तहत इंदौर से गाडरवाड़ा तक लाइन बिछाई जाए, क्योंकि गाडरवाड़ा से जबलपुर पहले से ही रेल लाइन से जुड़े हैं। फिर पहले चरण में इंदौर-बुधनी रेल लाइन का डिटेल इस्टिमेट सेंग्शन किया गया।
– प्रोजेक्ट के तहत दो सुरंगें और दो वायाडक्ट बनाए जाना हैं। ये बड़े निर्माण देवलिया हथनौरा (किमी 53 से 59) के बीच किए जाएंगे। एक सुरंग नौ किमी लंबी और दूसरी करीब डेढ़ किमी लंबी होगी।
– प्रोजेक्ट से सीहोर, देवास और इंदौर जिलों को फायदा होगा। नसरूल्लागंज के अलावा खातेगांव और कन्नौद जैसे रेलविहीन क्षेत्रों में रेल लाइन पहुंच सकेगी। प्रोजेक्ट की कुल लागत 4500 करोड़ रुपए के आसपास है। यह प्रोजेक्ट सिंगल लाइन प्रोजेक्ट है, जिसमें रेल लाइन का विद्युतीकरण भी शामिल है।
– प्रोजेक्ट की मंजूरी 2017-18 में दी गई थी और तब इसे 2023-24 में पूरा करने का लक्ष्य था। हालांकि, बजट में राशि नहीं मिलने से रेल लाइन के लिए जरूरी जमीन नहीं मिल पाई। इस वजह से प्रोजेक्ट लगातार पिछड़ता गया।
इंदौर की दो तहसीलों की जमीनें लेंगे
सूत्रों ने बताया कि रेल लाइन के लिए इंदौर की सांवेर और कनाडिय़ा तहसीलों की जमीनें लेने की प्रक्रिया एडवांस स्टेज पर है। इन हिस्सों में निजी और सरकारी जमीनों का सर्वे पहले ही पूरा किया जा चुका है। जुलाई में यदि अवार्ड पारित हो जाता है, तो अगले 60 से 90 दिन के भीतर रेल लाइन के लिए जरूरी जमीन आरवीएनएल को सौंप दी जाएगी। उसके बाद इस तरफ भी तेजी से काम शुरू किए जाएंगे।
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