मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद लोक निर्माण विभाग ने जारी रखा काम और भुगतान के बिल भी कर लिए मंजूर
इंदौर। एक तरफ प्राधिकरण (IDA) बीआरटीएस (BRTS) कॉरिडोर (Corridor) पर नए फ्लायओवरों (Flyovers) के निर्माण के लिए फिजिबिलिटी सर्वे (Feasibility Survey) के टेंडर को मंजूरी दे रहा है, तो दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग की फाइलों में अभी भी एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट जिंदा है। लोक निर्माण विभाग के सेतु निर्माण शाखा के कार्यपालन यंत्री ने अभी कलेक्टर को इस बारे में पत्र भी भेजा और मार्गदर्शन मांगा है। इस पत्र में कहा गया कि मुख्यमंत्री ने 17.02.2024 को इस एलिवेटेड का भूमिपूजन किया था और ठेकेदार फर्म द्वारा निर्माण कार्य मौके पर शुरू कर दिया, जिसमें सर्वे, मिट्टी परीक्षण, ड्राइंग-डिजाइन, सेंट्रल लाइन रोड, मार्किंग सहित अन्य कार्य किए गए और उसना अपना पहला देयक यानी बिल भी अभी 28 अक्टूबर को प्रस्तुत कर दिया है।
एबी रोड का लगभग 12 किलोमीटर लम्बा बीआरटीएस कॉरिडोर ही एक तरह से मजाक बन गया है। 300 करोड़ रुपए की राशि इस पर अब तक फूंकी जा चुकी है और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे हटाने के निर्देश दे दिए, उसके चलते एक नई बहस भी शुरू हो गई। दूसरी तरफ केन्द्रीय सडक़निधि योजना से एलआईजी से पलासिया, एमवाय चौराहा होते हुए नवलखा तक एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार ने 350 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की थी, जिसके चलते लोक निर्माण विभाग ने इसके टेंडर की प्रक्रिया को पूरा करते हुए राजकमल बिल्डर्स इन्फ्रा स्ट्रक्चर प्रा.लि. अहमदाबाद को इसके निर्माण का ठेका भी दे दिया और आयुक्त निगम ने अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी किया और कुछ समय पूर्व मुख्यमंत्री ने वर्चुअली इसका भूमिपूजन भी कर दिया और उसके बाद फिर अभी पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने ही एलिवेटेड कॉरिडोर योजना को समाप्त करने और प्रमुख चौराहों पर फ्लायओवर निर्माण के निर्देश दे डाले, जिसके चलते कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर प्राधिकरण ने फिजिबिलिटी सर्वे के लिए टेंडर बुला लिए, जिसमें आधा दर्जन कम्पनियों ने हिस्सा लिया और आज होने वाली बोर्ड बैठक में पात्र कम्पनी के टेंडर को मंजूरी दी जाना है। दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग की फाइलों में अभी भी एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट जिंदा है और उसे विधिवत समाप्त भी नहीं किया गया, जिसके चलते विभाग द्वारा ना तो ठेका निरस्त किया गया और ना ही इस संबंध में आगे की प्रक्रिया की गई। उल्टा ठेकेदार द्वारा जो निर्माण कराए गए उसका बिल भी उसे प्राप्त हो गया है। लिहाजा कार्यपालन यंत्री ने कलेक्टर को पत्र लिखकर पूछा है कि इस संबंध में मार्गदर्शन दिया जाए। वहीं प्राधिकरण खुद असमंजस में है और आज की बोर्ड बैठक में लोक निर्माण विभाग के इस पत्र पर भी चर्चा होगी। इस बारे में जब सीईओ आरपी अहिरवार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी तो फिजिबिलिटी सर्वे करवाने के लिए टेंडर बुलाए हैं और उसकी रिपोर्ट से ही तय होगा कि फ्लायओवर किन-किन चौराहों पर बनाए जा सकते हैं।
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