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इंदौर बना सबसे बड़ा ऑनलाइन मंडी, सोशल मीडिया पर हो रही हथियारों की डील

February 04, 2022

इंदौर। हथियार बेचने के लिए सिकलीगरों की नयी पीढ़ी (new generation of sikligers) सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है। इंदौर संभाग (Indore Division) सोशल मीडिया पर अवैध हथियारों की मंडी बन गया है। यहां के खरगोन-खंडवा (Khargone-Khandwa) जैसे इलाकों में अवैध हथियार बनाने वाले सिकलीगरों की नयी पीढ़ी हाईटेक हो गयी है। पुलिस से बचने के लिए वो अब अपने हथियारों की तस्करी सोशल मीडिया के ज़रिए कर रही है। अवैध हथियारों की धरपकड़ में इंदौर अव्वल रहता है। इसका कारण यही है कि यहां आसपास के इलाकों में अवैध फैक्ट्री चल रही हैं। बड़वानी और खरगोन इलाक इसके लिए कुख्यात हैं। यहां बड़ी तादाद में सिकलीगर चोरी छुपे हथियार बनाए और बेचे जाते हैं। पुलिस इन्हें पकड़ती तो है लेकिन अवैध कारोबार रोक नहीं पा रही।

तस्करों ने पुलिस से बचने के लिए नया रास्ता अपना लिया है। वो सोशल मीडिया पर पहुंच गए हैं। यहां अवैध हथियारों की मंडी लगती है और सारे सौदेबाजी ऑनलाइन हो जाती है। सौदा होने के बाद हथियारों की डिलीवरी बताए पते पर कर दी जाती है। इंदौर क्राइम ब्रांच (Indore crime branch) को अब इसकी भनक लग गई है। टीम अब ऐसे कई सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर बनाये हुए है, जिन पर हथियारों की नुमाइश और सौदा होता है। इंदौर जिला अवैध हथियारों की खरीद फरोख्त के लिए अड्डा बना गया है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से यहां लगातार अवैध हथियार पहुंचाए जा रहे हैं।


इंदौर के नजदीकी जिले खरगोन, धार, बड़वानी और बुरहानपुर (Khargone, Dhar, Barwani and Burhanpur) में सिकलीगर अवैध हथियार बनाते हैं। यहां इनके कई कारखाने चल रहे हैं। इन कारखानों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की क्वालिटी के अवैध फायर आर्म्स तैयार किए जा रहे हैं। अब तक पिस्टल, रिवाल्वर और कट्टे (revolvers and guns) बनाने वाले ये सिकलीगर अब गोलियां भी बनाने लगे हैं। पिछले दिनों इंदौर क्राइम ब्रांच ने दो सिकलीगरो गिरफ्तार कर इनके पास से 6 पिस्टल, 4 देसी कट्टे और 200 कारतूस बरामद किए थे। सिकलीगरों के नाम तेजपाल सिंह भाटिया और जसपाल डांगी हैं। दोनों बड़वानी जिले के अंजड़ के रहने वाले हैं।

बड़वानी पुलिस ने दोनों तस्करो को पकड़ने के बाद इनके ठिकानों पर भी कार्रवाई कर वहां से कुछ लोगों को हिरासत में लिया। उनके पास से हथियार और हथियार बनाने के औजार भी बरामद हुए हैं। पूछताछ में इन्होंने कबूल किया है कि वे डिमांड पर हथियार बनाते हैं। पहले उत्तर भारत के अलग-अलग शहरों से कारतूस लाकर उनके अनुसार हथियार बनाते थे। लेकिन अब इन्होंने अपने हथियार के अनुसार कारतूस बनाना शुरू कर दिया है। हथियार बनाने में साइकिल के पार्ट्स का इस्तेमाल होता है।


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डीलर पंजाब और हरियाणा (Punjab and Haryana) से आसानी से इंदौर (Indore) पहुंच कर हथियारों की बड़ी डील कर रहे हैं। हथियार सप्लाई के लिए आदिवासी इलाकों के लोगों का इस्तेमाल किया जाता है। बड़ी मात्रा में हथियार ले जाने वाले डीलर अपने वाहनों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। कभी कभी कूरियर से डिलीवरी की जा रही है। इंदौर संभाग के जिलों में बनने वाले हथियारों की सबसे अधिक मांग पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में है। जबकि भिंड छतरपुर, दतिया में बनने वाले हथियारों की मांग बिहार और उत्तर प्रदेश में अधिक है।

सिकलीगरों की नई पीढ़ी (new generation of sikligers) हथियार बेचने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप (Facebook, Instagram and WhatsApp) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हथियारों की नुमाइश की जा रही है। फोटो भेजने के अलावा हथियारों की टेस्टिंग और निशानेबाजी के वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया के कुछ अकाउंट्स भी पुलिस के हाथ लगे हैं। डीसीपी निमिष अग्रवाल (DCP Nimish Agarwal) ने इस मुद्दे पर खुलकर जरूर बहुत कुछ नहीं बोला लेकिन ये माना कि अलग अलग उपकरणों का इस्तेमाल कर यह लोग त्वरित हथियार कर देते हैं. हथियार और कारतूस बनाने की जानकारी मिली है। क्राइम ब्रांच इन पर लगातार कार्रवाई कर रही है।

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