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    इंदौर : बाबा ने हड़पी 100 करोड़ की जमीन, सिर्फ बाउण्ड्रीवॉल ही 8 साल में बनाई

  • October 25, 2024

    • इंदौर की इन्वेस्टर्स समिट में पतंजलि ने की थी बढ़-चढक़र घोषणाएं,
    • मगर अब तक प्लांट के पते नहीं,
    • 40 एकड़ जमीन कब्जे में,
    • अब रीवा में मुख्यमंत्री के सामने कर दी नई घोषणा

    इंदौर। बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की फर्म पतंजलि (patanjali) वैसे तो आए दिन विवादों में रहती है। कुछ समय पूर्व सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी बाबा को कड़ी फटकार लगाते हुए अपनी आयुर्वेदिक दवाइयों (ayurvedic medicines) को लेकर किए गए बोगस दावों को लेकर माफी भी मंगवाई थी। वहीं इंदौर में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में बाबा ने पीथमपुर में 40 एकड़ जमीन प्लांट लगाने के लिए आबंटित करवाई और 8 साल बाद भी प्लांट के पते नहीं है और मौके पर सिर्फ बाउण्ड्रीवॉल ही बनाई और 40 एकड़ जमीन पर कब्जा जमा रखा है। दूसरी तरफ अभी रीवा में आयोजित समिट में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में एक हजार करोड़ के नए निवेश की घोषणा और कर डाली। बाबा रामदेव पर चूंकि केन्द्र से लेकर सभी भाजपा की राज्य सरकारें मेहरबान रही है। यही कारण है कि शासन स्तर पर पतंजलि को आबंटित जमीन शासन ने वापस नहीं ली।


    पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान हर दो साल में इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करवाते रहे, जिसमें देश-विदेश के उद्योगपति और निवेशक शामिल होते रहे। 2016 में आयोजित समिट में बाबा रामदेव खुद मौजूद थे और उन्होंने 500 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा कर दी और दूसरी तरफ एमपीआईडीसी ने ताबड़तोड़ बाबा की कम्पनी पतंजलि को 40 एकड़ जमीन आबंटित कर डाली। हालांकि बाबा ने उस वक्त कहा था कि यह जमीन उनके लिए कम है। इतनी जमीन पर तो वे कबड्डी खेलते हैं। इस जमीन पर पतंजलि खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र लगाना चाहती थी, जिसमें आटा निर्माण का बड़ा प्लांट लगता। मगर 8 साल होने आए, अभी तक प्लांट के अते-पते नहीं है और मौके पर सिर्फ बाउण्ड्रीवॉल ही बनी है। जब इस संबंध में एमपीआईडीसी के कार्यकारी संचालक राजेश राठौर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे फाइल देखकर बताएंगे कि वर्तमान में क्यास्थिति है। वहीं सूत्रों का कहना है कि पूर्व में पतंजलि को नोटिस भी दिए गए और शासन के पास आबंटन निरस्त करने संबंधी फाइल भी भेजी गई। मगर प्रदेश में चूंकि भाजपा की सरकार है। लिहाजा बाबा रामदेव को रियायत देते हुए अभी तक इस जमीन का आबंटन निरस्त नहीं किया। अन्यथा अन्य कोई उद्यमी या निवेशक होता तो शासन जमीन वापस ले लेता। यहां तक कि टीसीएस और इन्फोसिस को भी जो अधिक जमीन आबंटित हो गई थी और उन्होंने भी दावों के मुताबिक उतनी संख्या में रोजगार नहीं दिया तो शासन ने कुछ समय पूर्व 50 एकड़ जमीन इन दोनों आईटी कम्पनियों से भी वापस ले ली, ताकि किसी अन्य कम्पनी को आबंटन किया जा सके। मगर पतंजलि के मामले में ऐसा नहीं है। 8 साल बाद भी प्लांट न डालने के बावजूद 40 एकड़ बेशकीमती जमीन बाबा के कब्जे में ही है, जिसका वर्तमान मूल्य 100 करोड़ रुपए से अधिक की है और बाबा को यह जमीन कौडिय़ों के भाव मात्र 25 लाख रुपए एकड़ में आबंटित की गई थी और बाउण्ड्रीवॉल बनाकर पतंजलि ने जमीन पर अपना कब्जा कर रखा है और प्लांट स्थापना को लेकर भी कोई हलचल नहीं है और जब प्लांट ही नहीं लगा तो एक भी व्यक्ति को रोजगार हासिल नहीं हुआ। जबकि 5 हजार लोगों को रोजगार देने का वादा जमीन आबंटन के वक्त पतंजलि की ओर से किया गया था। साथ ही किसानों से लेकर स्थानीय छोटे कारोबारियों को भी इस प्लांट से फायदा मिलने के दावे किए गए। दरअसल, 8 साल पहले पतंजलि ने तेजी से अपने कारोबार में इजाफा किया था और कई जानी-मानी कम्पनियां पीछे रह गई थी। हालांकि बाद में पतंजलि के प्रोडक्ट में भी गुणवत्ता के सवाल उठने लगे और कई स्थानों पर उसके नमूने फेल भी हुए। उसके बाद कोरोनाकाल में पतंजलि ने जो दवाइयां बनाई और उसका प्रचार-प्रसार किया उसको लेकर एलोपैथिक चिकित्सकों ने मोर्चा खोला और बाबा को सुप्रीम कोर्ट में घसीटा और वहां से उन्हें कड़ी फटकार भी खाना पड़ी। दूसरी तरफ अभी रीवा में जो रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव आयोजित हुई उसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में पतंजलि के प्रमुख कर्ताधर्ता आचार्य बालकृष्ण ने 1 हजार करोड़ रुपए के निवेश का दावा कर दिया और यह खबर भी सुर्खियों में रही। यही निवेश वेलनेस सेंटर और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में करना बताया। सूत्रों का कहना है कि बाबा इंदौर-उज्जैन रोड पर वेलनेस आयुर्वेदिक सेंटर के लिए जमीन कबाडऩा चाहते हैं।

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