अपने रजिस्ट्री किए भूखंडों को बचाने के लिए बाउण्ड्रीवॉल बनवाने में जुटे… डराने-धमकाने के प्रयास भी शुरू
इन्दौर। भूमाफिया के चंगुल में फंसी देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था की बहुचर्चित कालोनी अयोध्यापुरी के पीडि़तों ने एकजुट होकर मोर्चा खोला और अपने रजिस्ट्री किए हुए भूखंडों को बचाने के लिए बाउण्ड्रीवॉल बनाना शुरू कर दी है। 20 साल से ज्यादा इन पीडि़तों को संघर्ष करते हुए हो गए, मगर अभी तक इन्हें न्याय नहीं मिल सका है। भूमाफिया ना तो कालोनी को वैध होने देते हैं और ना ही मास्टर प्लान में उसका भू-उपयोग आवासीय करवाया गया। अभी भी पीडि़तों को डराने-धमकाने के साथ नोटिस भेजकर चुप करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मगर पीडि़तों ने भी इस बार मैदान में डटकर मुकाबला करने का निर्णय लिया है और रोजाना संघर्ष समिति के पदाधिकारी डटे रहते हैं और सभी भूखंड मालिकों को लगातार प्रेरित भी कर रहे हैं कि वे भी अपने-अपने भूखंडों की सुरक्षा के लिए बाउण्ड्रीवॉल बना लें। फिलहाल कई भूखंडों पर बाउण्ड्रीवाल बन भी गई है। अभी तक इन भूखंडों को कचरा और मलबा डालने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।
प्रेस कॉम्प्लेक्स के बगल में स्थित अयोध्यापुरी की जमीन अब अत्यंत बेशकीमती हो गई है, जिसके 250 से अधिक सदस्य सालों से भूमाफिया से लड़ाई लड़ रहे हैं। दरअसल, संस्था के रजिस्ट्री करवाए जा चुके भूखंडों को ही भू्माफिया ने निजी संस्थाओं और रसूखदारों को बड़े-बड़े टुकड़ों में बेच डाला। 2009 में जब पहली बार गृह निर्माण संस्थाओं के घोटालों की जांच शुरू हुई तब देवी अहिल्या कामगार से ही इसकी शुरुआत हुई और इससे जुड़े कुछ माफिया जेल गए, लेकिन बाकी बच निकले। इसके बाद जब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अभियान चलवाया, तब भी अयोध्यापुरी के पीडि़तों को उम्मीद बंधी और अब फिर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सभी तरह के माफियाओं के साथ जमीन के घोटालेबाजों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई के निर्देश पुलिस-प्रशासन और संबंधित विभागों को दिए हैं। इसके बाद अयोध्यापुरी रहवासी कल्याण समिति ने फिर से मोर्चा संभाल लिया। इसके अध्यक्ष देवेन्द्र जैन और सचिव गौरीशंकर लखोटिया ने पहली बार मैदानी मोर्चा खोलते हुए सभी प्लॉट पीडि़तों को एकजुट किया और उनसे कहा कि वे अपने-अपने भूखंडों पर बाउण्ड्रीवाल का निर्माण करवाए। दरअसल पिछले कई दिनों से लावारिस पड़ी जमीनों पर जहां विकास कार्य क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं खाली ग्राउंड डम्पिंग ग्राउंड में तब्दील हो गए, जहां निगम के अलावा अन्य लोग कचरा-मलबा डाल जाते हैं। अब अधिकांश भूखंड मालिकों ने मलबे, कचरे को हटवाकर सफाई शुरू करवाई और तेजी से बाउण्ड्रीवाल के साथ अन्य निर्माण भी शुरू करने का निर्णय लिया। हालांकि कुछ भूखंडधारकों को भूमाफिया ने अपने पक्ष में भी रखा है, जो बाउण्ड्रीवाल सहित अन्य निर्माण को अवैध बताकर विरोध भी कर रहे हैं।
वैध करवाने के प्रयासों में भी लगाते रहे अड़ंगे
अयोध्यापुरी कालोनी को जब भी वैध करवाने के प्रयास हुए, तब भूमाफियाओं ने अड़ंगे डाले। कुछ साल पहले निगमायुक्त ने भी जाहिर सूचना प्रकाशित करवाकर कालोनी को टेकओवर कर व्यवस्थापन के प्रयास किए, तो उसके खिलाफ भी भोपाल से दबाव डलवाकर कार्रवाई रूकवा दी। मास्टर प्लान में भू-उपयोग परिवर्तन करवाने के अलावा रसूखदारों ने कोर्ट-कचहरी का भी सहारा लिया और ना तो कालोनी वैध होने दी और ना पीडि़तों के मकान बनने दिए। अभी भी नोटिस भेजकर भूखंड पीडि़तों को डराया-धमकाया जा रहा है, मगर समिति के सचिव गौरीशंकर लखोटिया का कहना है कि कानूनी लड़ाई भी पूरी ताकत से लड़ी जाएगी और भूमाफिया को भी सबक सिखाएंगे।
16 एकड़ में से 7 एकड़ की ही तीन अवैध रजिस्ट्रियां
देवी अहिल्या श्रमिक कामगार समिति की अयोध्यापुरी कालोनी 16.16 एकड़ पर विकसित की गई, जिसमें 200 से अधिक सदस्यों की रजिस्ट्रियां भी हो चुकी है। बावजूद भूमाफिया ने 7 एकड़ से अधिक की जमीन तीन अवैध रजिस्ट्रियों के जरिए बेच डाली, जबकि इन जमीनों की रजिस्ट्रियां सदस्यों के नाम हो चुकी थी। इनमें सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट एंड मेगा फाइनेंस के पास 4 एकड़, मेसर्स केएस सिटी प्रा.लि. तर्फे आशीष गुप्ता के नाम पर 1.47 एकड़ और श्रीमती शैला पति अशोक जैन के नाम पर 1.57 एकड़, इस तरह 7.04 एकड़ जमीन अवैध रूप से विक्रय कर दी गई और इन रजिस्ट्रियों के बदले जो करोड़ों रुपए की राशि ली गई, उसमें भी हेरा-फेरी की गई और बैंक खातों के रिकार्ड में भी पूरी राशि जमा नहीं हुई। यानी नियम के मुताबिक तो ये रजिस्ट्रियां अवैध हो गई हैं, जिन्हें शून्य करवाने की प्रक्रिया भी कोर्ट में विचाराधीन है। अभी मुख्यमंत्री के निर्देश पर भूमाफिया के खिलाफ जो अभियान शुरू किया गया उसमें पुलिस-प्रशासन का कहना है कि अवैध रजिस्ट्रियों के खिलाफ भी नए सिरे से एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।
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