इंदौर। प्राधिकरण (Authority) की विभिन्न योजनाओं में निजी के साथ सरकारी जमीनें (Government Lands) भी शामिल रहती है, जिनके बदले प्राधिकरण सरकारी इमारतों (Government buildings) के निर्माण सहित अन्य समायोजन करता रहा है। अभी प्राधिकरण की कई योजनाओं में जो बहुमंजिला इमारतें बनाई उनमें बड़ी संख्या में अनबिके फ्लैट पड़े हैं। लिहाजा ऐसे 100 फ्लैटों का आवंटन शासन को किया जाएगा, ताकि इन फ्लैटों का इस्तेमाल सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की आवास समस्या के निराकरण में किया जाएगा, क्योंकि इंदौर में सरकारी आवासों का बहुत टोटा है और कई अधिकारी तबादला होने के बावजूद सरकारी आवास आसानी से खाली नहीं करते और महीनों-सालों तक कब्जा जमाए रहते हैं, जिसके चलते तबादला होकर आने वाले अधिकारियों को आवास नहीं मिलते और उन्हें किराए के मकानों में रहना पड़ता है।
पिछली प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में इस आशय का प्रस्ताव रखा गया, जिसमें सरकारी जमीन के एवं में प्राधिकरण द्वारा निर्मित फ्लैट्स शासन को देने पर सहमति बनी और बोर्ड ने भी इसे मंजूर कर लिया। प्राधिकरण की बनाई बहुमंजिला इमारत हरसिंगार कॉम्प्लेक्स में 20 फ्लैट खाली पड़े हैं, जिनका मूल्य साढ़े 7 करोड़ रुपए से अधिक कलेक्टर गाइडलाइन के मान से आंका गया है। इसके अलावा अमलतास कॉम्प्लेक्स में 70 फ्लैट खाली पड़े हैं, जिनकी कीमत 10 करोड़ 78 लाख रुपए से अधिक है। इसी तरह एक और गुलमोहर कॉम्प्लेक्स में भी 10 खाली फ्लैट शासन को सौंपे जाएंगे, जिनकी कीमत 1 करोड़ 46 लाख से अधिक आंकी गई है। इस तरह इन तीन बहुमंजिला इमारतों के 100 अनबिके फ्लैटों को शासन को दिया जाएगा और इसके बदले प्राधिकरण लगभग 20 करोड़ रुपए की राशि का समायोजन सरकारी जमीनों के एवज में करेगा। प्राधिकरण का कहना है कि एक तरफ ये फ्लैट नहीं बिके, जिसके चलते उनका रख-रखाव भी महंगा पड़ रहा है। दूसरी तरफ सरकारी आवासों का इंदौर में अत्यधिक टोटा है। दरअसल, इंदौर महानगर की श्रेणी में आने और पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद बड़ी संख्या में अधिकारियों और कर्मचारियों की पदस्थापना होती है, जिसके चलते राजस्व विभाग के पास उपलब्ध अधिकांश सरकारी आवास जीर्ण-शीर्ण और पुराने हो चुके हैं, जिनमें निवास संभव नहीं है। दूसरी तरफ प्राधिकरण द्वारा बनवाए गए ये फ्लैट सुविधाजनक और बेहतर हैं, जिसके चलते जिन अधिकारियों-कर्मचारियों को सरकारी मकान आवंटित नहीं हो पाता वे इन फ्लैटों का इस्तेमाल कर सकेंगे। वैसे भी प्राधिकरण पूर्व में भी सरकारी जमीनों के बदले शासन को अलग-अलग प्रोजेक्टों में राशि खर्च करता रहा है। कुछ वर्ष पूर्व नए कलेक्ट्रेट भवन का निर्माण भी प्राधिकरण ने इसी मद में किया था, जिस पर 50 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई और इसका भी समायोजन सरकारी जमीनों के बदले किया गया। इसी तरह अन्य प्रोजेक्ट भी प्राधिकरण द्वारा अमल में लाए जाते रहे हैं। प्राधिकरण द्वारा जो फ्लेट शासन को आवंटित किए जा रहे हैं वे दो और तीन बेडरूम के ही हैं और प्राधिकरण को प्राप्त होने वाली सरकारी जमीनों की गणना और फ्लेट्स के मूल्य की गणना कलेक्टर गाइडलाइन के समतुल्य ही रखी गई है। बोर्ड द्वारा लिए गए इस निर्णय को अब शासन की मंजूरी के लिए भेजा गया है। दरअसल, प्राधिकरण द्वारा बनाए गए कई फ्लेट तो बिक गए मगर अमलतास कॉम्प्लेक्स के फ्लैटों को बेचने में उसे सफलता नहीं मिली।
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