इंदौर। प्राधिकरण (Authority) नई योजनाएं (new plans) घोषित करेगा, जिनमें मध्यम और छोटे आकार के भूखंड (Plot) भी बड़ी संख्या में विकसित किए जाएंगे, ताकि अधिकांश परिवारों की आवास समस्या का निराकरण हो सके। इसके साथ ही शहर की चारों दिशाओं में व्यवस्थित विकास हो और जहां पर भी योजनाएं आ रही हैं वहां पर नगर तथा ग्राम निवेश अभिन्यास मंजूर ना करे। प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन और आवास संजय शुक्ल ने निगम, प्राधिकरण, नगर तथा ग्राम निवेश, नेशनल हाईवे, मेट्रो सहित अन्य विभाग के अधिकारियों की मैराथन बैठक में उक्त दिशा-निर्देश दिए। साथ ही प्राधिकरण के सुपर कॉरिडोर पर बनाए जा रहे 27 मंजिला स्टार्टअप पार्क प्रोजेक्ट कोभी हरी झंडी दी, जिसके टेंडर जल्द ही बुलाए जाएंगे।
पिछले दिनों प्राधिकरण ने अहिल्या पथ योजना टीपीएस के तहत घोषित की है और एक साथ आधा दर्जन इन योजनाओं की मंजूरी शासन से भी मांगी है, जो अभी तक मिली नहीं है। वहीं उसके पूर्व अन्य टीपीएस योजनाओं को अमल में लाया जा रहा है। दूसरी तरफ प्रमुख सचिव श्री शुक्ल का स्पष्ट कहना है कि प्राधिकरण के जरिए ही सडक़, बिजली, पानी, ड्रैनेज सहित अन्य सुविधाएं विकसित करने के साथ सुनियोजित विकास किया जा सकता है। अभी नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा निजी कॉलोनियों को जो मंजूरी दी जाती है वहां पर आधारभूत सुविधाएं भी नहीं रहती, जिसके चलते बाद में रहवासियों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है और यह भी एक तरह का अवैध कॉलोनाइजेशन ही है। इसकी बजाय प्राधिकरण अधिक से अधिक योजनाएं घोषित करे। कम जमीन से लेकर अधिकतम जमीन पर इन योजनाओं को घोषित करने से फायदा यह होगा कि वहां पर सभी तरह की आवश्यक सुविधाएं जुटाना आसान रहेगा। प्रमुख सचिव की बैठक में निगमायुक्त शिव म वर्मा, प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार, मेट्रो एमडी सहित नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक सुभाशीष बेनर्जी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। प्राधिकरण द्वारा सुपर कॉरिडोर पर लाए जा रहे स्टार्टअप पार्क के प्रोजेक्ट का भी प्रजेंटेशन दिया गया, जिसमें हालांकि प्राधिकरण ने पूर्व में नियमों में परिवर्तन की मांग भी की थी, जो शासन ने ठुकरा दी। लिहाजा अब सुपर कॉरिडोर के मापदण्डों के अनुरूप ही इसकी ड्राइंग-डिजाइन तय कर निर्माण करवाया जाएगा। कंसल्टेंट फर्म मेहता एसोसिएट के हितेन्द्र मेहता का कहना है कि लगभग 90 मीटर ऊंची और 27 मंजिला स्टार्टअप पार्क को पीपीपी मॉडल पर लाया जाएगा, जिसके लिए नए सिरे से ड्राइंग-डिजाइन तैयार कर प्राधिकरण को सौंपी जाएगी। वहीं सूत्रों का कहना है कि प्रमुख सचिव ने नगर तथा ग्राम निवेश के अधिकारियों को भी इस बात के लिए फटकार लगाई कि वे कहीं पर भी अभिन्यास मंजूर कर देते हैं। लिहाजा यह ध्यान रखा जाए कि अगर निगम, प्राधिकरण या अन्य किसी विभाग की कोई योजनाएं लाई जा रही है तो वहां का अभिन्यास ना मंजूर किया जाए और संबंधित विभागों से समन्वय भी स्थापित किया जाए।
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