100 साल पुराने क्वार्टर भी एमवाय परिसर में मौजूद, अब विस्तृत मास्टर प्लान तैयार कर लगभग 900 करोड़ के खर्च का अनुमान लगाया, 4 हजार से अधिक मरीज सिर्फ ओपीडी में ही रोजाना आते हैं
इंदौर। शहर (Indore) ही नहीं, बल्कि प्रदेश के सबसे बड़े खैराती अस्पताल (hospital) एमवाय (MY) को सर्वसुविधायुक्त बनाने के तमाम दावे विगत वर्षों में होते रहे हैं। बावजूद इसके मरीजों के फजीतेे आए दिन जारी रहते हैं। अब 900 करोड़ रुपए की राशि खर्च कर पूरे एमवाय परिसर का मास्टर प्लान (master plan) बनाने और अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने के भी दावे किए जा रहे हैं, जिसमें 400 बेड (400-bed) का अत्याधुनिक ट्रामा सेंटर (trauma center), 50 बेड का डायलिसिस यूनिट के अलावा आधा दर्जन मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर भी बनाए जाएंगे। अस्पताल परिसर में 30 से लेकर 100 साल पुराने क्वार्टर भी मौजूद हैं, जो अब जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं। एमवाय से जुड़े अन्य अस्पतालों का भी जीर्णोद्धार-विस्तार और अत्याधुनिक चिकित्सकीय सुविधाओं से युक्त मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। अकेले एमवाय में ही रोजाना 4 हजार मरीज ओपीडी में आते हैं और डेढ़ हजार मरीज आईपीडी में रहते हैं। अगले एक हफ्ते में ये मास्टर प्लान बनाने के निर्देश उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने दिए, जो कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज की सामान्य परिषद् की बैठक में मौजूद रहे। साथ ही रिक्त पदों की पूर्ति करने और कॉलेज की शैक्षणिक गुणवत्ता में भी सुधार के निर्देश दिए गए। इस मौके पर सांसद शंकर लालवानी ने अस्पतालों में मृत मरीजों को घर तक पहुंचाने के लिए नि:शुल्क एम्बूलेंस व्यवस्था की भी मांग की।
उपमुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने एमवाय अस्पताल में ही मेमोग्राफी केन्द्र और डिजीटल मशीन का लोकार्पण किया। मेमोग्राफी एक एक्स-रे इमेजिन विधि है, जिसका उपयोग कैंसर और अन्य स्तन रोगों का शीघ्र पता लगाने के लिए किया जाता है। बैठक में मौजूद सांसद सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने कहा कि एमवाय, सुपर स्पेशिएलिटी, कैंसर, एमटीएम और क्षय रोग निदान अस्पतालों में भी सभी आधुनिक सुविधाओं का लाभ मरीजों को मिलना चाहिए, क्योंकि एमवाय सहित इन सभी अस्पतालों में गरीब तबके के लोग ही इलाज कराने आते हैं और यहां सुविधाएं ना मिलने पर वे मजबूरी में निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कर्ज लेकर भी कराते हैं। मंत्री सिलावट ने बताया कि इंदौर का एमवाय अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल है, जो कि लगभग 70 से 80 वर्ष पुराना है। यहां पर मालवा-निमाड़ एवं मध्यप्रदेश के सीमावर्ती प्रांत गुजरात, महाराष्ट्र एवं राजस्थान से भी हजारों की संख्या में प्रतिदिन मरीज उपचार हेतु आते हैं, जिनमें अधिकांश मरीज गरीब एवं मजदूर वर्ग के होते हैं। अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 5000 मरीज ओ.पी.डी. में, 1000 से अधिक मरीज आई.पी.डी. में तथा 500 से अधिक मरीज इमरजेंसी में उपचार हेतु आते हैं। अस्पताल में प्रतिदिन 200 से अधिक ऑपरेशन किये जाते हैं। उन्होंने बताया कि एमवाय अस्पताल विगत 70 से 80 वर्ष पुराना होने से इसके उन्नयन की लगातार मांग होने से तथा मरीजों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए उनके बेहतर ईलाज एवं आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाएं देने के लिए एमवाय अस्पताल एवं उससे संबंधित अस्पतालों को आदर्श अस्पताल बनाये जाने हेतु अत्याधुनिक मशीनरी एवं चिकित्सकीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने तथा अन्य विकास एवं उन्नयन कार्यों की स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया। सिलावट ने उप मुख्यमंत्री शुक्ल से आग्रह किया कि यहां एक हजार बिस्तरीय नया अस्पताल बनाया जाये, जिसमें 400 बेड का अत्याधुनिक ट्रॉमा सेंटर तथा 50 बिस्तरीय नया डायलिसिस यूनिट स्थापित किया जाये। उन्होंने बताया कि एमवाय अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 500 से 700 ट्रॉमा एवं एम.एल.सी. के मरीज आते हैं। वर्तमान में यहां 40 बेड का एक्सीडेंट एंड केजुअलटी सेंटर संचालित है, जो पर्याप्त नहीं है। साथ ही 50 बिस्तर का अत्याधुनिक नया डायलिसिस यूनिट स्थापित किया जाये। मरीजों की संख्याओं को देखते हुए यहां जी+6 भवन में 400 बेड का अत्याधुनिक ट्रॉमा सेंटर स्थापित किया जाना आवश्यक है, जिसमें 50 बेड का आई.सी.यू. तथा 6 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर हो। इस हेतु केजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर के और पद निर्मित किए जाए। वर्तमान में अस्पताल का भवन लगभग 70 वर्ष पुराना होकर 100 बेड की क्षमता के साथ संचालित है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 250 से 300 बेड की क्षमता के साथ अत्याधुनिक मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, नए उपकरण एवं सी.टी. मशीन की स्थापना करते हुए एमआरटीबी अस्पताल को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाए। श्री सिलावट ने बताया कि वर्तमान में चाचा नेहरू अस्पताल 100 बेड की क्षमता के साथ संचालित है, इसका बच्चों के उपचार हेतु विस्तार किया जाना आवश्यक है। इसकी बेड क्षमता को 300 बेड का करने के साथ-साथ अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर बनाया जाये। पीडियाट्रिक मेडिसीन एवं पीडियाट्रिक सर्जरी दोनों एक ही स्थान पर हो । किडनी के मरीजों के लिए 50 डायलिसिस यूनिट का अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त सेंटर का निर्माण किया जाये। एमवाय अस्पताल के सभी ऑपेरशन थिएटर का मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर के रूप में उन्नयन किया जाए। वहीं मशीनों के रख-रखाव के लिए इंजीनियर और ए.एम.सी.सी.एम.सी. के लिए पूरा सेटअप स्थापित किया जाए। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी की स्थापना की जाए।
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