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इंदौर एयरपोर्ट हुआ 100 ग्रीन एनर्जी से संचालित होने वाला प्रदेश का पहला एयरपोर्ट

July 12, 2023

  • देश के 44 प्रमुख एयरपोर्ट में हुआ शुमार, सालाना 52.85 लाख यूनिट बिजली की खपत, इसमें से 24 प्रतिशत खुद उत्पादित कर रहा, बाकी ग्रीन एनर्जी बिजली कंपनी से महंगी दरों पर खरीदी

इंदौर। इंदौर (Indore) का देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय विमानतल (Devi Ahilyabai Holkar International Airport) प्रदेश का पहला एयरपोर्ट बन गया है, जो 100 प्रतिशत रिन्यूएबल ग्रीन एनर्जी (renewable green energy) से संचालित हो रहा है। एयरपोर्ट अपनी खपत का एक चौथाई खुद सौर ऊर्जा (solar energy) से उत्पादित कर रहा है, वहीं शेष बिजली कंपनी से ग्रीन एनर्जी के रूप में ली जा रही है। इस ग्रीन एनर्जी के लिए एयरपोर्ट बिजली कंपनी (airport power company) को अतिरिक्त राशि भी भुगतान कर रहा है।

एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया द्वारा देश के सभी एयरपोर्ट को पर्यावरण संरक्षण के तहत ज्यादा से ज्यादा ग्रीन एनर्जी उत्पादित करने और अतिरिक्त बिजली भी ग्रीन एनर्जी के रूप में ही खरीदने के लिए निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में अप्रैल से इंदौर एयरपोर्ट पूरी तरह ग्रीन एनर्जी से संचालित होने वाला एयरपोर्ट बन चुका है। हाल ही में एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया ने इसके लिए इंदौर एयरपोर्ट की सराहना भी की है।

अधिकारियों ने बताया कि इंदौर एयरपोर्ट पर सालाना 52.85 लाख यूनिट बिजली की खपत होती है। एयरपोर्ट पर लगे 1 मेगावॉट के सोलर एनर्जी प्लांट से इस खपत का 24 प्रतिशत यानी 12.68 लाख यूनिट का उत्पादन होता है, वहीं शेष 40.16 लाख यूनिट एयरपोर्ट अथोरिटी मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से लेती है। खास बात यह है कि पहले यह बिजली सामान्य बिजली के रूप में ली जाती थी, लेकिन अब इसे ग्रीन एनर्जी के रूप में लिया जाता है।

क्या होती है ग्रीन एनर्जी
बिजली कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि कोयले से और बांधों से बिजली उत्पादित करना पारंपरिक तरीका है, लेकिन यह पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं होता है। इसे देखते हुए अब ज्यादा से ज्यादा बिजली सौर और पवन ऊर्जा से उत्पादित किए जाने पर जोर दिया जा रहा है। इसे ही ग्रीन एनर्जी कहा जाता है, क्योंकि इसके उत्पादन में पर्यावरण पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।


शहर में कई बड़ी कंपनियां खरीद रहीं ग्रीन एनर्जी
बिजली कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि शहर में कई बड़ी कंपनियां बिजली कंपनी से ग्रीन एनर्जी की मांग कर रही हैं। इनमें टीसीएस जैसी कंपनियां भी शामिल हैं, वहीं पिछले दिनों इंदौर में हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए भी इसकी मांग की गई थी, लेकिन इसके लिए नियम है कि आयोजन कम से कम एक माह का होना चाहिए। इस कारण इस आयोजन में ग्रीन एनर्जी नहीं दी गई थी।

बिजली वही सिर्फ ग्रीन एनर्जी के नाम पर शुल्क ज्यादा
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि कहीं सौर ऊर्जा या पवन चक्कियों से उत्पादित होने वाली बिजली को अलग से ग्रिड लगाकर एयरपोर्ट तक भेजा जा रहा है। एयरपोर्ट को पहले की तरह ही सामान्य रूप से ही बिजली दी जा रही है, लेकिन ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए बड़े संस्थानों को ग्रीन एनर्जी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसका मलतब होता है कि प्रदेश में जितनी ग्रीन एनर्जी उत्पादित हो रही है, उतनी मात्रा में बिजली कंपनी किसी भी संस्थान को उसकी मांग के आधार पर बिजली देगी और उसे ग्रीन एनर्जी का नाम दिया जाएगा। इस बिजली का उपयोग करने से संस्थानों के कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आती है और कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलता है।

45 लाख सालाना ज्यादा चुकाएगा एयरपोर्ट
अपने यहां उपयोग होने वाली अतिरिक्त बिजली को ग्रीन एनर्जी के रूप में लेने के लिए शासन की योजना के तहत संस्थानों को सामान्य बिजली की अपेक्षा ज्यादा कीमत पर इसे खरीदना पड़ता है। एयरपोर्ट पर अप्रैल से पहले तक जहां 7.53 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जाती थी, वहीं अब एयरपोर्ट इस पर 1.11 रुपए प्रति यूनिट ज्यादा बिल चुका रहा है। इस तरह सालाना 40.16 लाख यूनिट के लिए एयरपोर्ट को करीब 45 लाख रुपए अतिरिक्त चुकाने होंगे। हालांकि ग्रीन एनर्जी का उपयोग करने पर एयरपोर्ट को शासन की कई योजनाओं का अतिरिक्त लाभ भी मिलेगा।

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