पिछली बार इंदौर से मेंदोला और बाबा के नाम आए थे चर्चा में
इंदौर (Indore)।
शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों के बीच इस बार विंध्य और महाकौशल क्षेत्र को तवज्जो देने के चक्कर में इंदौर (Indore) फिर खाली हाथ रह गया। पिछली बार भी चुनाव के पहले इंदौर से विधायक रमेश मेंदोला (Ramesh Mendola) और महेंद्र हार्डिया (Mahendra Hardia) का नाम चला था, लेकिन विस्तार में उन्हें जगह नहीं मिली थी।
चुनाव के मात्र तीन महीने पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) द्वारा मंत्रिमंडल विस्तार किया जा रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार में जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर संतुलन साधने का दावा किया जा रहा है। इंदौर (Indore) को छोड़कर संभाग की बात की जाए तो यहां खंडवा में आदिवासी समाज से एक और धार जिले से सामान्य जाति का एक मंत्री है, लेकिन संभाग से पिछड़ी जाति को मौका नहीं मिला है और न ही इंदौर से। वैसे तुलसी सिलावट और उषा ठाकुर को इंदौर के कोटे से ही मंत्री माना जाता है, लेकिन सिलावट ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं तो उषा ठाकुर धार लोकसभा सीट से। अभी जो मंत्रिमंडल विस्तार किया जा रहा है, उसमें विंध्य से रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल और महाकौशल के बालाघाट से विधायक गौरीशंकर बिसेन के साथ-साथ प्रीतम लोधी को भी लिए जाने की चर्चा है। लोधी उमा भारती के समधी हैं। तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की तैयारियों के बीच इंदौर फिर खाली हाथ नजर आ रहा है। पिछली बार भी जब शिवराज सरकार के अंतिम दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद चली थी, तब इंदौर से विधायक रमेश मेंदोला का नाम तेजी से उभरा था और उन्हें मंत्री बनाए जाने की चर्चा चल पड़ी थी। मेंदोला दो नंबर विधानसभा से तीन बार से विधायक हैं और पिछली बार वे 71 हजार से अधिक मतों से जीते थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पाया। इसके साथ ही विधायक हार्डिया को भी मंत्री बनाने की बात चली थी। इस बार वैसे बाबा बहुत ही कम वोटों से जीत पाए। उस समय एक नाम विधायक मालिनी गौड़ का भी उछला था, लेकिन बाद में सभी चर्चा अफवाह साबित हुई। हालांकि कई बार इंदौर के शहरी क्षेत्र से मंत्री बनाने की मांग उठती रही है, लेकिन इस सरकार में भी इंदौर खाली हाथ रह गया।
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