इंदौर। इंदौर कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई (Public Hearing) के दौरान एडीएम पवन जैन (ADM Pawan Jain) द्वारा दिव्यांग से अभद्रता के मामले (cases of indecency with disabilities) में सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने एडीएम पवन जैन को तुरंत हटा दिया है। दरअसल, मंगलवार को जिला प्रशासन की जनसुनवाई में सहयोग मांगने पहुंचे एक दिव्यांग को वहां मौजूद सिपाहियों ने थप्पड़ जड़ दिए और अधिकारी ने अभद्र व्यवहार किया।
बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सख्त कदम उठाते हुए एडीएम पवन जैन को तत्काल प्रभाव से हटाकर भोपाल पदस्थ करने के निर्देश दिए हैं। जनसुनवाई के दौरान एडीएम ने दिव्यांग के साथ संवेदनहीन रवैया रखा , जिस पर आज मुख्यमंत्री ने बैठक में उन्हें हटाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अधिकारी दिव्यांगों से संवेदनशील व्यवहार रखें। दिव्यांग से दुर्व्यवहार का मामला प्रकाश में आने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने नाराज़गी जताते हुए तत्काल प्रभाव से अपर कलेक्टर को हटाने के निर्देश दिए हैं।
क्या है मामला….
दिव्यांग कृष्णा उर्फ सोनू पाठक की गलती यह थी कि वह अपने मृत दादाजी के मकान को अपने नाम कराना चाहते थे और इसके लिए कई बार कलेक्टर कार्यालय और नगर निगम के कार्यालय चक्कर काट चुके थे। मंगलवार को वे एक बार फिर जनसुनवाई में आए। वह किसी तरह सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जनसुनवाई सभागार के दरवाजे तक पहुंचे। यहां सिपाहियों और कर्मचारियों ने सभागार में जाने से रोका और पंजीयन की पर्ची मांगी। उन्हें केवल इसलिए रोका गया कि वे बार-बार जनसुनवाई में आ रहे थे। किसी तरह उन्होंने कर्मचारियों को मनाया। पहले तो कर्मचारी उनके लिए व्हीलचेयर नहीं लाए लेकिन बाद में इंतजाम किया और अंदर ले गए। वे त्रस्त हो चुके थे।
दिव्यांग को चलने के साथ ही बोलने में भी समस्या थी। अपर कलेक्टर पवन जैन के सामने पहुंचकर उन्होंने टेबल पर जोर से फाइल और अपना मोबाइल फोन पटका। इससे मोबाइल का कवर खुल गया और बैटरी निकलकर नीचे गिर गई। मोबाइल का कवर अपर कलेक्टर के चेहरे पर जा टकराया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पाठक के व्यवहार से नाराज अपर कलेक्टर जैन ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, जबकि उनके गार्ड ने दिव्यांग व्यक्ति को दो बार थप्पड़ मारे। थप्पड़ इतने जोर से मारा कि व्हीलचेयर पर बैठे पाठक फर्श पर गिर गए और फाइल के दस्तावेज बिखरे हुए थे। पाठक को बाद में जनसुनवाई कक्ष से बाहर कर दिया गया।
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