कलेक्टर ने त्रिशला और मेघना गृह निर्माण संस्थाओं के सदस्यों की जांच शुरू करवाई तो अधिकांश निकले फर्जी, फरार भूमाफिया दीपक मद्दा ने किया था प्राधिकरण से भूखंड हड़पने का प्लान
इंदौर।
भूमाफियाओं (Land Mafia) ने जहां गृह निर्माण संस्थाओं (House Building Institutions) की जमीनों (Lands) को हड़पा, वहीं कई कागजी संस्थाएं (Paper Institutions) बनाकर बोगस सदस्यों (Bogus Members) के नाम पर भी बेशकीमती जमीन और भूखंड (Plots) हड़पने का खेल किया। प्राधिकरण की योजना 140 में शामिल त्रिशला (Trishala) और मेघना गृह निर्माण संस्था Meghna Home Construction) के बारे में इसी तरह का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। इन दोनों कागजी संस्थाओं में लगभग 400 सदस्य बताए गए, जिनमें से कलेक्टर (Collector) द्वारा करवाई गई जांच में अधिकांश फर्जी निकले हैं। 20 प्रतिशत भूखंड हासिल करने के लिए यह घोटाला किया गया, जिसके चलते लगभग 900 करोड़ के 409 भूखंड हड़पे जाना थे। हालांकि 2016 में ही अग्निबाण ने इस पूरे खेल का भंडाफोड़ किया और फिर अभी 4 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने धारा 24 (2) के संबंध में जो फैसला दिया उसके बाद तमाम योजनाओं में शामिल जमीनों की बंदरबांट रूक गई। कलेक्टर के मुताबिक इस संबंध में किए गए फर्जीवाड़े के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जाएगी।
प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने भी इन दोनों संस्थाओं की जांच करने का अनुरोध अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर (Additional Collector Dr. Abhay Bedekar) को पत्र भेजकर किया है, ताकि हाईकोर्ट के समक्ष चल रहे प्रकरण में प्राधिकरण का पक्ष प्रभावी तरीके से रखा जा सके। फरार भूमाफिया दीपक मद्दे ने कुछ वर्ष पूर्व प्राधिकरण के राजनीतिक बोर्ड के साथ-साथ अधिकारियों के साथ जमावट कर योजना 140 में कागजी संस्थाओं के नाम पर विकसित 20 प्रतिशत भूखंड हड़पने का खेल जमाया, जिसे अग्निबाण ने तथ्यात्मक खबरों के आधार पर चौपट कर दिया था। जबकि प्राधिकरण ने संकल्प क्र. 7, दिनांक 26.02.2015 के आधार पर 20 फीसदी भूखंड देने का निर्णय ले लिया था। वहीं कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने त्रिशला और मेघना गृह निर्माण संस्थाओं के सदस्यों की जांच एक दर्जन से अधिक टीमें लगाकर करवाई, तो पता चला कि 400 में से अधिकांश सदस्य फर्जी बनाए गए हैं। इनमें से कईयों को तो पता ही नहीं है कि वे कब इन संस्थाओं के सदस्य बन गए। भूमाफियाओं ने अपने ड्राइवर, नौकर, रिश्तेदारों व अन्य को सदस्य बनाकर 900 करोड़ के भूखंड हड़पने का प्लान बनाया।
इंदौर हाईकोर्ट से फिलहाल स्टे… कई टेंडरदाता लगा रहे हैं चक्कर
प्राधिकरण ने कुछ समय पूर्व योजना 140 के भूखंडों के टेंडर निकाले, मगर संस्थाओं की ओर से लगाई याचिका पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया, जिसके चलते टेंडर भरने वाले कई आबंटिती प्राधिकरण के चक्कर काट रहे हैं। हाईकोर्ट के ही पुराने आदेशों के मद्देनजर प्राधिकरण ने त्रिशला और मेघना के लिए 409 भूखंडों को सुरक्षित रखा था। इन प्रकरणों के लम्बित रहने से प्राधिकरण अपनी सम्पत्तियां बेच नहीं पा रहा है।
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