इंदौर। पटाखा दुकान (firecracker shop) में कोई दुर्घटना (accident) हो जाए तो किसी पर मुकदमा (trial) नहीं चल सकता, क्योंकि पटाखा दुकानों के लाइसेंस (License) भी मुर्दों (murdon) के नाम पर जारी किए जा रहे हैं। फटाका लायसेंस के नवीनीकरण के दौरान दो साल पहले मृत एक बुजुर्ग के पोते (Grandchildren) ने लायसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन जमा कराया तब जाकर सेटिंग का खुलासा हुआ।
नए लायसेंस के नाम पर प्रशासन ने 600-600 रुपए हड़पे…
वैसे तो पटाखा दुकानों के लिए अस्थायी लायसेंस की प्रक्रिया 18 अक्टूबर को शुरू होना थी, लेकिन दो दिन के अवकाश के चलते कल से आवेदन जमा करवाए गए। नए आवेदनों को लेने से अधिकारियों ने इनकार कर रखा है, लेकिन उसके बावजूद भी 600 रुपए का चालान बनाकर आवेदन जमा कराए जा रहे हैं। नए आवेदन जमा करने की प्रक्रिया में आवेदकों से शपथ पत्र लिया जा रहा है कि वे आवेदन स्वीकार नहीं होने की सूरत में 600 रुपए की भुगतान की वापसी नहीं मांगेंगे, जबकि यदि आवेदन स्वीकार ही नहीं किए जाना है तो पैसे क्यों जमा किए जा रहे हैं।
नेताओं के दबाव-प्रभाव से नए आवेदन मंजूर
कल लंबी कतार को देखते हुए होमगार्ड के जवानों को व्यवस्थाएं संभालनी पड़ी। वैसे तो नए आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं, लेकिन नेताओं के दबाव भी सामने आ रहे हैं, जिसके चलते दबाव-प्रभाव वालों के आवेदन स्वीकार कर लिए गए।
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