अयोध्यापुरी में लगातार तीसरे दिन प्रशासन को मिली सफलता… कलेक्टर के अलावा निगम टीम ने भी किया कनेक्शनों के लिए दौरा
इंदौर। देवी अहिल्या श्रमिक कामगार संस्था (Devi Ahilya Shramik Kamgar Sanstha) की अयोध्यापुरी कालोनी (Ayodhyapuri Colony) में प्रशासन को लगातार तीसरी सफलता मिली, जब कल 70 हजार स्क्वेयर फीट जमीन सेटेलाइट इन्फ्राक्रिएशन प्रा.लि. (Satellite Infrastructure Pvt. Ltd.) ने सरेंडर कर दी। इसके पूर्व केएस सिटी और शैला जैन व अन्य भी जमीनें सरेंडर कर चुके हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने भी कल अयोध्यापुरी का दौरा किया और नगर निगम से लेकर नर्मदा परियोजना, बिजली कम्पनी की टीम भी पहुंची और सदस्यों से कनेक्शनों के संबंध में चर्चा की। पीडि़तों द्वारा अपने-अपने भूखंडों पर बाउण्ड्रीवाल का निर्माण भी करवाया जा रहा है। अधिकांश भूखंडों पर यह काम पूरा भी हो चुका है। अब कमरे सहित अन्य निर्माण भी पीडि़तों द्वारा शुरू किए जाएंगे।
पिछले दिनों प्रशासन ने 18 भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई, जो अयोध्यापुरी, पुष्प विहार (Pushpvihar) और हिना पैलेस (Hina Palace) जमीन घोटालों से जुड़े रहे हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी दीपक मद्दे सहित अन्य आरोपी फिलहाल फरार हैं, जिनकी सरगर्मी से पुलिस द्वारा तलाश की जा रही है। दूसरी तरफ प्रशासन की कार्रवाई से भूखंड पीडि़तों को न्याय मिलने की नई उम्मीद जागी, क्योंकि पहली बार इस तरह की कार्रवाई की जा रही है। अयोध्यापुरी के 369 भूखंडों की रजिस्ट्रियों की जांच-पड़ताल भी सहकारिता विभाग से करवाई जा रही है। अयोध्यापुरी रहवासी संघर्ष समिति के सचिव गौरीशंकर लाखोटिया ने बताया कि ज्यादातर भूखंडों पर बाउण्ड्रीवाल का निर्माण हो गया है और स्पीड ब्रेकर भी बना दिए हैं। वहीं कल नगर निगम बिजली कम्पनी के अलावा नर्मदा परियोजना के अधिकारियों ने भी दौरा किया। ड्रैनेज लाइन, पीने के पानी की लाइन सहित अन्य विकास कार्य 20 साल पहले ही हो चुके थे, लेकिन इतने समय तक ये लाइनें बंद रही, जिन्हें साफ किया जाएगा। वहीं दो बिजली की डीपी भी लगानी पड़ेगी और कनेक्शन सहित अन्य कार्य भी सभी सदस्यों द्वारा मिलकर करवाए जाएंगे। कल कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) भी दोपहर में कालोनी का अवलोकन करने पहुंचे। वहीं 70 हजार स्क्वेयर फीट जमीन सेटेलाइट इन्फ्रा क्रिएशन प्रा.लि. ने भी सरेंडर कर दी।
उल्लेखनीय है कि अरुण डागरिया से जुड़ी इस कम्पनी पर भी आरोप लगे थे कि उसने सदस्यों की जमीन खरीद ली। सर्वे नं. 387/1 पैकी, 387/2 पैकी, 391/2 पैकी भूमि में से 70 हजार स्क्वेयर फीट जमीन सेटेलाइट इन्फ्रा में पंजीकृत विक्रय-पत्र 31.03.2008 के माध्यम से खरीदी थी। हालांकि 67 लाख रुपए की स्टाम्प ड्यूटी भी बकाया है। कल सेटेलाइट इन्फ्रा की ओर से पुष्पेन्द्र ठाकुर ने अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर को शपथ-पत्र सौंपा, जिसमें कहा गया कि उनके द्वारा किसी सदस्य के साथ कोई धोखाधड़ी नहीं की गई और कम्पनी उक्त भूमि की सद्भाविक क्रेता रही है। यदि किसी सदस्य का कोई भूखंड हमारी भूमि पर आता है तो उस पर हमारे पक्ष सम्पादित विक्रय-पत्र के आधार पर हमारे द्वारा कोई क्लेम नहीं किया जाएगा और उक्त विक्रय-पत्र को सरेंडर माना जाए। पीडि़तों का कहना है कि सेटेलाइट इन्फ्राक्रिएशन ने भी अपनी गलती सुधारकर अच्छा किया। अब 23 हजार स्क्वेयर फीट सहित अन्य कुछ रजिस्ट्रियां भी इसी तरह सरेंडर होना शेष है। इसके पूर्व केएस सिटी ने 60 हजार स्क्वेयर फीट, तत्पश्चात शैला जैन व अन्य ने 1 एकड़ जमीन सरेंडर कर दी। इस तरह प्रशासन को 3 अवैध रूप से खरीदी गई जमीनों को सरेंडर करवाने में सफलता मिली है। इससे पीडि़तों का भी उत्साह बढ़ा और सभी एकजुट होकर अपने-अपने भूखंडों का कब्जा लेने में जुट गए हैं।
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