चालान पेश करने के लिए प्रमुख साक्ष्य होती है रिपोर्ट, ट्रैप से पहले बातचीत होती है रिकॉर्ड
इंदौर। प्रदेश में भ्रष्टाचार (Corruption) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लोकायुक्त (Lokayukta) और ईओडब्ल्यू (EOW) की टीम लगातार कार्रवाई कर रही है। इस साल भी लोकायुक्त ने 35 लोगों को रिश्वत (Bribery) लेते ट्रैप किया है, लेकिन एक साल से वाइस रिकॉर्डिंग (Recording) की रिपोर्ट (Report) नहीं मिलने से चालान पेश नहीं हो सका है। इनमें कुछ मामले पिछले साल के हैं तो कुछ इस साल के।
लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की टीम छापे के अलावा रिश्वतखोरों के खिलाफ भी लगातार कार्रवाई कर रही है। इसमें ऐसा कोई विभाग नहीं बचा है, जहां का भ्रष्ट अफसर रिश्वत (Bribery) लेते पकड़ा न गया हो। नगर निगम (Municipal Corporation), वन विभाग, पुलिस, पटवारी, जिला पंचायत के पदाधिकारी हों या अन्य विभागों के, लोकायुक्त ने इस साल 35 लोगों को रिश्वत लेते पकड़ा है, जबकि ईओडब्ल्यू ने दो कार्रवाई की है। जब भी किसी अधिकारी के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत आती है तो सबसे पहले लोकायुक्त की टीम उसकी बातचीत को रिकॉर्ड करवाती है। यह केस में प्रमुख साक्ष्य होता है, लेकिन इसकी भोपाल (Bhopal) स्थित लैब से रिपोर्ट लेनी होती है, ताकि उसे कोर्ट में सबूत के रूप में पेश किया जा सके। इसके चलते जब भी ट्रैप की कार्रवाई की जाती है, रिपोर्ट के लिए वाइस रिकॉर्डिंग भोपाल लैब भेजी जाती है, लेकिन प्रदेश में एक ही लैब होने से इसकी रिपोर्ट आने में एक साल से अधिक समय लग जाता है। इसके चलते लोकायुक्त के दो साल के 50 से अधिक मामले अटके पड़े हैं। इनमें जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन चालान पेश नहीं हो सका है।
फर्जी आदेश से आईएएस बनने के मामले की भी रिपोर्ट आना बाकी
लोकायुक्त के अलावा पुलिस (Police) को भी कई केसों में वाइस रिकॉर्डिंग रिपोर्ट (Vice Recording Report) की आवश्यकता होती है। हाल ही में एमजी रोड पुलिस को जज का फर्जी आदेश (Fake Order) बनाकर आईएएस अवॉर्ड करवाने वाले संतोष वर्मा के मामले में भी रिपोर्ट का इंतजार है। अभी रिपोर्ट नहीं मिली है।
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