शासन निर्णय के बाद इंदौर विकास प्राधिकरण ने जारी की अधिसूचना… योजना समाप्त, मगर जमीन मालिकों को नहीं दी जा रही है अभी एनओसी
इन्दौर। प्रदेश शासन (Government) ने गत वर्ष 17 फरवरी से लैंड पुलिंग एक्ट लागू कर दिया था, जिसके चलते इंदौर विकास प्राधिकरण ( Indore Development Authority) की 8 योजनाएं उसके दायरे में ली गई। इनमें से राऊ की योजना 165 जो टीपीएस-2 के रूप में घोषित की, उसे समाप्त तो किया गया, मगर जमीन मालिकों को एनओसी नहीं मिल रही है। वहीं 2 योजनाएं 6 और 7 को शासन ने अभी मंजूरी नहीं दी। जबकि कल शासन ने 5 योजनाओं को लैंड पुलिंग एक्ट (Land Pulling Act) के तहत मंजूरी दे दी।
इस एक्ट के तहत मंजूर योजनाओं को टीपीएस-1 से लेकर टीपीएस-8 तक के रूप में घोषित किया गया था। तत्कालीन कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने ये लैंड पुलिंग एक्ट (Land Pulling Act) प्रदेश में लागू करवाया, जिसका नोटिफिकेशन (Notification) गत वर्ष 17 फरवरी को विधि और विधाई कार्य विभाग ने जारी कर दिया था, जिसके चलते नगर तथा ग्राम निवेश संशोधन अधिनियम 2019 की लगभग 12 धाराओं में संशोधन किए गए, जिसके चलते प्राधिकरण की 10 योजनाएं चपेट में आई, जिसमें लगभग 5 हजार एकड़ निजी जमीनें शामिल हैं। लैंड पुलिंग एक्ट के तहत अब जमीन मालिकों को 50 प्रतिशत जमीन वापस लौटा दी जाएगी और शेष 50 प्रतिशत जमीन पर प्राधिकरण सडक़ से लेकर अन्य आवश्यक स्कूल, कालेज, सार्वजनिक उपयोग, हरियाली में इस्तेमाल करेगा और 20 प्रतिशत जमीन पर भूखंड विकसित कर बेचेगा। कल शासन ने 5 योजनाओं को लैंड पुलिंग एक्ट में शामिल करने की अनुमति दे दी, जिसके चलते प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक श्रोत्रिय ने इनकी अधिसूचना जारी करवा दी। अभी शासन ने टीपीएस-1, टीपीएस-3, टीपीएस-4, टीपीएस-5 और टीपीएस-8 को अनुमति दी है। जबकि राऊ की योजना 165 जो कि टीपीएस -2 के रूप में घोषित थी, उसे मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद समाप्त तो कर दिया, मगर शासन से प्राधिकरण ने एनओसी जारी करने की अनुमति मांगी है, जो अभी तक नहीं मिली। इसी तरह टीपीएस 6 और 7 को शासन ने अभी अनुमति नहीं दी। इसको नए सिरे से देखने को कहा है। अब प्राधिकरण इन 5 घोषित हो चुकी लैंड पुलिंग एक्ट की योजनाओं में 6 माह के भीतर प्लानिंग करेगा और तत्पश्चात जमीन मालिकों की आपत्तियों का निराकरण किया जाएगा। हालांकि इस एक्ट में शामिल की गई जमीनों को अब छोड़ा नहीं जाएगा और 50 प्रतिशत अविकसित जमीन ही लौटाई जाएगी। इन पांचों योजनाओं में 1300 हैक्टेयर से अधिक निजी और सरकारी जमीनें शामिल है।
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